पौंग झील में खेती के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में खेती किए जाने का मामला गरमा गया है। देहरा के गुलेर और गठुतर के लोगों ने इस अवैध गतिविधि का जमकर विरोध किया है।
जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद कुछ लोग पौंग झील के संरक्षित क्षेत्र में खेती कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध खेती से झील का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है और कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों और जीवों को खतरा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा दी जाए।
क्या कहता है वन विभाग?
वन विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि वे अवैध खेती को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
क्या है मामला?
पौंग झील हिमाचल प्रदेश का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और इसे रामसर साइट का दर्जा भी प्राप्त है। यह झील कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। हाल के वर्षों में झील के आसपास अतिक्रमण और अवैध गतिविधियां बढ़ी हैं, जिससे झील का पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है