हिमाचल प्रदेश के “सिरमौरी ताल” गांव में भयंकर त्रासदी के चौथे दिन भी “दून घाटी” की आंखें नम हैं। जहां एक तरफ विनोद अपने दो मासूम बच्चों, माता-पिता के अलावा पत्नी को खोने के गम में डूबा हुआ है, वहीं एक बेजुबान उन नन्हें हाथों को तलाश रहा है, जो उसे रोजाना कई-कई बार दुलार देते थे।
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कुत्ता (Dog) भी अपनों के न दिखने से बेचैन है। बादल फटने (Cloudburst) के बाद करीब 70 बीघा भूमि दलदली हो गई। कुत्ता व्याकुलता में दलदली भूमि में इधर-उधर भटकता रहा। उसे न भूख लगी न प्यास, उसे तो सिर्फ वो नन्हें हाथ चाहिए थे, जो उसके लिए खाना व पानी लेकर हरदम तैयार रहते थे। बुधवार रात की घटना के बाद से ही ये कुत्ता व्याकुल था।
राहत व बचाव कार्यों के बीच भी वो इधर-उधर घूम रहा था। जैसे ही शुक्रवार शाम 5 बजे के आसपास 10 वर्षीय नितेश सहित तीन के शव दलदल से बरामद हुए तो वो कीचड़ में लथपथ होकर ठीक उसी जगह पर पहुंच गया था। आपको बता दें कि 10 वर्षीय नितेश का जब शव बरामद हुआ तो वो दादी के सीने से लिपटा हुआ था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बीती शाम जैसे ही पहला शव मिला तो वो पोकलेन मशीन के नजदीक पहुंच गया। भूखे प्यासे कुत्ते को समाजसेवियों ने खाना दिया तो बमुश्किल रोटी के टुकडे़ को तोड़ा। वहां मौजूद हर कोई कुत्ते को भटकता हुआ देख रहा था। कुत्ते की वफादारी का अहसास हर किसी को हो रहा था।