सरकाघाट उपमंडल के तहत आने वाले ज्वाली गांव के प्रभावितों के सब्र का बांध अब टूटने लग गया है। बीती 12, 13 और 14 अगस्त को बारिश के रूप में कहर कुछ इस कद्र बरपा कि पूरा गांव ही विस्थापित हो गया। कुछ लोगों के घर जमींदोज हो गए, जबकि बाकी घर ऐसी स्थिति में हैं, जिनमें रहना संभव ही नहीं। ऐसे में इस गांव के 55 प्रभावित परिवारों को प्रशासन ने पटड़ीघाट स्कूल में बनाए अस्थायी राहत शिविर में ठहराया हुआ है।
ज्वाली गांव की हालत अब यह है कि यहां जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही। लेकिन प्रभावितों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। प्रभावितों का एक ही सवाल है कि आखिर कब तक वे इसी तरह स्कूल में अपनी जिंदगी काटेंगे। सरकार इनके लिए कोई स्थायी समाधान निकाले। प्रभावितों को जमीन उपलब्ध करवाए और घर बनाने में मदद करे।
प्रभावित रोशनी देवी, भोलू राम, रोशनी देवी (2) और धर्मू ने बताया कि उनका पूरा गांव भूस्खलन की जद में आ गया है। गांव का कुछ हिस्सा धंस गया है, जबकि कुछ धंसने की कगार पर है। जो घर बचे हैं उनमें इतनी बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है कि वो कभी भी ढह सकते हैं। गांव का कोई भी घर रहने लायक नहीं बचा है। सारा सामान घरों में ही मौजूद है और वहां तक जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही है। गांव का स्कूल भी ढह गया है। बच्चों का भविष्य भी अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
प्रभावितों ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि या तो सरकार इनकी जिम्मेदारी ले या फिर इन्हें गोली मार दे, क्योंकि जिस तरह की जिंदगी ये अभी जी रहे हैं, उसे कब तक जिएंगे, इसका कोई पता नहीं।