IAS शुभम गुप्ता उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो गरीबी को अपने रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं. शुभम कभी दुकान पर बैठकर जूते चप्पल बेचने का काम करते थे. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये लड़का बड़ा होकर एक दिन अफसर बनेगा, मगर शुभम ने ये कर दिखाया. उन्होंने मेहनत से अपनी किस्मत खुद लिखी और UPSC की परीक्षा पास कर अपने परिवार को गर्व के क्षण दिए. अब वो महाराष्ट्र कैडर के IAS हैं.
Success Story of IAS Shubham Gupta
शुभम गुप्ता मूलरूप से राजस्थान से आते हैं. 11 अगस्त 1993 को उनका जन्म सीकर जिले में पड़ने वाले भूदोली गांव में रहने वाले एक आम परिवार में हुआ था. पिता अनिल गुप्ता ने उन्हें आम बच्चों की तरह बड़ा किया. वो आर्थिक रूप से अधिक समृद्ध नहीं थे. ठेकेदारी के काम से उनका घर ठीक तरह से चल रहा था.
गरीब परिवार से आने वाले शुभम कैसे बने IAS?
मगर, उनके काम को किसी की नज़र लग गई. शुभम सातवीं में पढ़ते थे, जब कमाई नहीं होने के कारण उनके पिता को राजस्थान से महाराष्ट्र आना पड़ा था. महाराष्ट्र आकर उन्होंने पालघर जिले के दहाणू रोड पर जूते-चप्पल की एक दुकान डाली, जहां शुभम अक्सर अपने पिता की मदद के लिए स्कूल के बाद आ जाते थे.
जानकारी के मुताबिक शाम चार से रात नौ बजे तक दुकान की पूरी जिम्मेदारी शुभम के कंधों पर ही रहती थी. छोटी उम्र में उन्हें इस तरह काम करते हुए देखने वाले शायद ही किसी को अंदाजा रहा होगा कि ये लड़का बड़ा होकर आईएएस अफसर बनेगा. पर कहते है न कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती.
अपने चौथे प्रयास में शुभम गुप्ता को सफलता
शुभम के साथ भी ऐसा ही हुआ. काम के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. दिल्ली विश्वविद्यालय से साल 2012-2015 में बीए और फिर एमए करने के बाद उन्होंने खुद को यूपीएसी के लिए तैयार किया और अपने चौथे प्रयास में सफल हुए. आज वो देश के जाने-माने IAS अधिकारी हैं और युवाओं के लिए एक बड़े प्रेरणास्रोत.