राजगढ़ क्षेत्र के प्रसिद्ध आराध्य देव शिरगुल महाराज अपने मूल स्थान शाया से आज स्नान यात्रा यानि जातर पर निकल गये । यह स्नान यात्रा अथवा जातर आज उनके जन्म स्थल मुख्य मंदिर शाया से उनकी तपो स्थली चूड़धार तक जाएगी जहाँ पांरपरिक देव स्नान संपन होगा । देवता के मुख्य पुजारी पृथ्वी सिहं ठाकुर के अनुसार प्राचीन परंपरा के अनुसार हर तीसरे वर्ष ये जातर शाया से देव स्नान हेतु चूडधार जाती है । इस जातर यानि देव यात्रा में देवता के पुजारी , देवे , घनिते, कार कारिंदे , शावगी और नौ तबीन के लोग शामिल होते है । यह जातर पारंपरिक रूप से गाजे बाजे के साथ धूम धाम से जाती है । आज सुबह शिरगुल महाराज की पांरपरिक पूजा के बाद देवता के गुर अथवा घणिता के माध्यम से देव वाणी पूछ कर देव स्नान यात्रा की अनुमति मांगी गई और उसके बाद यह देव स्नान यात्रा आरंभ हुई । यह देव यात्रा तीन दिनो मे लगभग 40 कि मी सफर पैदल व घने जंगलो से होकर करेगी । यहां काबिले जिक्र है कि यह देव यात्रा किसी भी मंदिर में रात्रि विश्राम नही करेगी और खुले आसमान के नीचे घने जंगलो में रात्रि विश्राम होगा । प्राचीन पंरपरा के अनुसार शाया से निकलकर ये जातर बांगा पानी नामक स्थान पर खुले आसमान के नीचे विश्राम करेगी