नागरोटा, जम्मू कश्मीर की सीमा देवी की ज़िन्दगी भी किसी अन्य होममेकर की तरह ही चल रही थी. तीन बच्चों की मां की ज़िन्दगी कैसी होती होगी, ये आप अंदाज़ा लगा सकते हैं. बच्चों को पालने और पूरे परिवार का ध्यान रखने में सीमा देवी की ज़िन्दगी बीत रही थी. पति को दिन-रात मेहनत करते देख सीमा देवी के मन में एक ख़्याल आया, पति की मदद करने का ख़्याल. सीमा देवी की इस सोच का नतीजा ये हुआ कि उन्होंने ई-रिक्शा का हैंडल थाम लिया और अब वो जम्मू कश्मीर की पहली महिला ई-रिक्शा चालक (Seema Devi First Female E-Rickshaw Driver of Jammu & Kashmir) बन गई हैं.
पति की मदद करने के लिए शुरू किया ई-रिक्शा चलाना
समाज की परवाह किए बगैर नागरोटा की सीमा देवी ने अपने परिवार को आर्थिक रूप से मज़बूत करने की ठानी. सीमा देवी तीन बच्चों की मां है और बीते चार महीने से नागरोटा और आस-पास के क्षेत्र में ई-रिक्शा चला रही हैं. The New Indian Express से बात-चीत में सीमा देवी ने बताया कि उनके पति की आय से घर चलाना मुश्किल हो रहा था. पति की मदद करने के लिए उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया.
सीमा देवी के शब्दों में, ‘मैंने ये काम इसलिए शुरू किया क्योंकि मेरे पति की आय उतनी नहीं थी. महंगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और मैं अपने पति की मदद करना चाहती थी. अपने परिवार को अच्छी ज़िन्दगी और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की मंशा से ये काम शुरू किया.’
परिवार की मदद करने के लिए कोई और काम नहीं मिला
सीमा देवी का एक 15 साल का बेटा है, एक 14 साल की और एक 12 साल की बेटी है. उन्हें कोई दूसरी नौकरी नहीं मिली इसलिए उन्होंने ई-रिक्शा चलाना शुरू किया. सीमा देवी ने बताया, ‘मैंने और मेरे पति ने 30 हज़ार का लोन लिया और 3000 की EMI पर ई-रिक्शा खरीदी. मेरे पति ने मुझे ई-रिक्शा चलाना सिखाया.’
महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं
सीमा देवी ने कहा कि आज महिलाएं हवाईजहाज़ उड़ा रही हैं, ट्रेन चला रही हैं तो ई-रिक्शा क्यों नहीं. इस विचार ने उन्हें प्रेरणा दी. सीमा देवी का कहना है कि उनके पति ने उन्हें सपोर्ट किया और मदद की. महिलाएं जब सीमा देवी की ई-रिक्शा में बैठती हैं तो उन्हें सेफ़ महसूस होता है. कई बच्चे भी उनकी ई-रिक्शा से स्कूल जाते हैं. स्थानीय निवासियों ने कहा कि सीमा देवी को दूसरों के लिए प्रेरणा हैं.