SC Verdict on Abrogation Of Article 370: SC का ऐतिहासिक फैसला, कहा- Article 370 हटाने का फैसला सही, 30 सितंबर 2024 तक J&K में हों चुनाव

संविधान के अनुच्छेद 370 में संशोधन के केंद्र सरकार के 2019 के कदम पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 11 दिसंबर को अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे ‘अनुच्छेद 370’ को खत्म करने के केंद्र के कदम की संवैधानिक वैधता पर फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने सोमवार को कहा कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने का फैसला बरकरार रहेगा.

फैसले में संविधान पीठ ने क्या कहा?

इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का अधिकार है और ये अधिकार विधानसभा भंग होने के बाद कायम रहेगा. इसके अलावा सीजेआई ने कहा कि युद्ध के हालात में 370 हटाने का फैसला अंतरिम फैसला था और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. बता दें कि केंद्र ने 2019 में विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था.  सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया. इस पीठ ने 16 दिन तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. SC के फैसले को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

Article 370 पर फैसले से पहले कैसे रहे सुरक्षा इंतजाम?

अब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले श्रीनगर में सुरक्षा बढ़ा दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर पूरी घाटी में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे. जम्मू में भी व्यापक प्रबंध किए गए. सोशल मीडिया पर खास तौर से नजर रखी जा रही है. इस बीच पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के काफिले की रवानगी पर रोक लगा दी गई है.

साथ ही वीआईपी की सुरक्षा में लगे काफिले पर भी रोक लगा दी गई है. आईजी कश्मीर की ओर से सेना के साथ ही बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी तथा अन्य सुरक्षा बलों के अधिकारियों व सभी पुलिस प्रमुखों को संदेश भेजकर कहा गया है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे तथा अन्य हाईवे पर कोई भी काफिला नहीं निकलेगा. पूरे दिन ड्राई डे रहेगा. इसके साथ ही वीआईपी तथा सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के काफिले को निकलने से पूरी तरह बचने को कहा गया है.

सुरक्षा पर क्या बोले IG?

आईजी वीके बिर्दी ने बताया कि हम घाटी में किसी भी हालात में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सभी प्रकार के एहतियात बरते जा रहे हैं. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर में शांति व्यवस्था भंग न होने पाए. इस बीच अफवाह फैलाने के आरोप में एक न्यूज पोर्टल के दो संस्थापक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

कश्मीर की खुफिया एजेंसी सीआईके ने सोशल मीडिया निगरानी के दौरान डेली न्यूज एंड एनालिसिस नामक एक समाचार पोर्टल की पहचान की. साथ ही इसके दो संस्थापकों को गिरफ्तार किया है. उनकी पहचान जहूर अहमद खान निवासी मनवान अवूरा और अब्दुल रऊफ पीर निवासी अवूरा कुपवाड़ा के रूप में हुई है. दोनों पर फर्जी समाचार प्रसारित करने व अफवाहें फैलाने का आरोप है. प्रारंभिक पूछताछ में इसे दुश्मन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अफवाह फैलाने के इरादे से एक मॉड्यूल का हिस्सा पाया गया. उन पर कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. डिजिटल उपकरणों का विश्लेषण और जांच शुरू की गई है.

कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

 

आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति के अधिकार पर जस्टिस कौल ने कहा कहा कि, आर्टिकल 356 में राष्ट्रपति को राज्य में बदलाव करने का अधिकार है। इस अधिकार के तहत राष्ट्रपति किसी प्रकार की कार्रवाई कर सकते हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि केंद्र सरकार ने खुद कहा कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संसद के द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा को निलंबित रखा गया है।

 

जस्टिस संजय किशन कौल ने अपना फैसला पढ़ते के दौरान प्रेमनाथ कौल के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि वह इसपर थोड़ा अलग रुख रखते हैं। उन्होंने भी अपने फैसले में माना कि आर्टकिल 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में केवल और केवल भारत का संविधान ही लागू होगा कोई और संविधान नहीं।

 

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया । कहा कि, लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा।

 

राष्ट्र्पति के फैसले यानी एग्जेक्युटिव का फैसला वैलिड करार। यानी 370 को हटाने का फैसला सही-राष्ट्रपति अगर 370 में फैसला देते हैं तो वह स्पेशल परिस्थितियों में दे सकते हैं उस पर कोर्ट का दखल नहीं हो सकता है। 370 (1)(डी) के तहत राष्ट्रपति को विधानसभा से सहमति लेकर राज्य के मामले में फैसला देने की बाध्यता नहीं है। इसके तहत राष्ट्रपति राज्य के बारे मे्ं केंद्र सरकार से सिफारिश ले सकते हैं क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन है। भारत का संविधान राज्य पर पूरी तरह से लागू।

बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया था. केंद्र के इस फैसले के बाद जम्मू से विशेष राज्य का दर्जा छिन गया था और यह केंद्र के अधीन आ गया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. फिलहाल, आज यह साफ हो गया है कि केंद्र का फैसला संवैधानिक रूप से वैध था. केंद्र सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.