सावन की मासिक शिवरात्रि का उतना ही महत्व है जितना सावन के सोमवार का। इस बार सावन शिवरात्रि पर बहुत ही शुभ योग बनने जा रहा है। इस बार शिवरात्रि के दिन त्रियोदशी तिथि रहेगी और वृद्ध योग बन रहा है। आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि की तारीख, महत्व और पूजा विधि।
इस बार 14 तारीख को 7 बजकर 18 मिनट से त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा और 15 तारीख को रात को 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी। महाशिवरात्रि का अभिषेक करना चाहते हैं तो निशीथ काल में करना शुभ रहेगा। रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन बहुत हो शुभ वृद्ध योग और त्रयोदशी तिथि भी हैं। ऐसे में इस बार की शिवरात्रि और भी उत्तम और शुभ रहने वाली है।
शिवरात्रि पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहन लें। इसके बाद किसी शिव मंदिर में जाएं। आप चाहें तो अपने पूजा घर में जो शिवलिंग है उस पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और नारियल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
मासिक शिवरात्रि का क्या है महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है और मासिक शिवरात्रि का व्रत करता है उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख शांति भी बनी रहती है।
मासिक शिवरात्रि व्रत के नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करने के बाद पूजा स्थल की साफ सफाई करें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। इस बात का ख्याल रखें की आप पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करें।
पूजा में भगवान शिव का जलाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें।
साथ ही इस दिन फलहार ही करें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
अगले दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करके दान आदि करें।