जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। गंगा के बीच प्री-वेडिंग शूट के दौरान दिल्ली से आए युगल का जीवन खतरे में पड़ गया। गंगा का जलस्तर बढ़ने से दोनों नदी के बीच एक पत्थर पर फंस गए। कुछ ही देर में जलस्तर इतना ज्यादा बढ़ गया तो दोनों बहने लगे। गनीमत रही कि राफ्टिंग व कैंप संचालकों की नजर उन पर पड़ गई और उन्होंने राफ्ट की मदद से दोनों को बचा लिया। वहीं, घटनास्थल पर मौजूद कुछ लोगों ने घटना को मोबाइल फोन में कैद कर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया।

एसडीआरएफ के मुताबिक, घटना गुरुवार की है। दिल्ली निवासी मानस और अंजलि प्री-वेडिंग शूट के लिए ऋषिकेश आए थे। दोनों ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर ब्यासी से पहले माला खूंटी पुल पर शूटिंग करा रहे थे। फोटोग्राफर ने उन्हें तस्वीरें लेने के लिए गंगा किनारे एक पत्थर पर बिठा दिया। इसी बीच गंगा का जलस्तर बढ़ जाने से युगल नदी में फंस गया। कुछ ही पलों में पानी पत्थर के ऊपर से बहने लगा। यह देखकर युगल मदद के लिए चीखने-चिल्लाने लगा।

अचानक बढ़ा नदी का जलस्तर बढ़ा

समीप ही मौजूद राफ्टिंग व कैंप संचालक मनीष रावत, जब्बा रावत, जयवीर रावत आदि ने यह देखा तो राफ्ट लेकर मौके पर पहुंचे और रस्सी की मदद से युगल को राफ्ट तक लाने के लिए प्रयास शुरू किए। नदी में हर पल जलस्तर बढ़ने के साथ ही बहाव तेज होता जा रहा था और राफ्ट संचालकों के कई प्रयास के बाद भी युगल रस्सी नहीं पकड़ पा रहे थे। इस बीच पानी के बहाव से युगल का हाथ छूट गया और दोनों नदी में बहने लगे।

ऐसे किया गया रेस्क्यू

राफ्ट सवार युवकों ने किसी तरह अंजलि को तो राफ्ट में खींच लिया, मगर मानस करीब 500 मीटर तक बहता चला गया। हालांकि, युवकों ने हार नहीं मानी और कड़ी मशक्कत के बाद मानस को भी राफ्ट में ले आए। लेकिन, तब तक पेट में काफी मात्रा में पानी चले जाने से वह बेहोश हो चुका था। इस बीच एसडीआरएफ के जवान भी मौके पर पहुंच गए। एसडीआरएफ की टीम ने सीपीआर दिया, तब जाकर युवक की सांस लौटी।

प्री-वेडिंग शूट के नाम पर उड़ रहीं नियमों की धज्जियां

ऋषिकेश का कौड़ियाला-मुनिकीरेती ईको टूरिज्म जोन प्री-वेडिंग शूट के लिए विशेष पहचान बना चुका है। हर वर्ष यहां बड़ी संख्या में लोग प्री-वेडिंग शूट के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, शूटिंग के दौरान नियम-कायदों को ताक पर रखा जा रहा है। हाल यह है कि अधिकांश लोग बिना अनुमति के यहां ड्रोन कैमरों का संचालन करते हैं। जबकि, ड्रोन उड़ाने के लिए वन विभाग या स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी है।

हानिकारक रंगीन गैस का भी हो रहा इस्तेमाल

गंगा तट पर हानिकारक रंगीन गैस के सिलेंडर भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। कई लोग तो नदी में भी हानिकारक रंगीन गैस उड़ाकर शूटिंग कराते हैं। यही नहीं, शूटिंग के लिए युवक-युवतियों को नदी के बीच टापू और पत्थरों पर बिना किसी सुरक्षा के बिठाया जाता है, जो इस तरह के हादसों को न्योता है। समाजसेवी प्रदीप बाबी ने इस पर चिंता जताते हुए वन विभाग और प्रशासन से ठोस नियमावली बनाने की मांग की है।