एक शख़्स ने ‘भूत’ समझकर एक औरत को मार डाला और कोर्ट ने उसे बरी कर दिया

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भूत-प्रेत एक ऐसा विषय है जिस पर बातें होती हैं, बड़े-बुज़ुर्ग कहानियां सुनाते हैं, फिल्में बनती हैं, किताबें और कहानियां लिखी जाती हैं. आप भूत-प्रेत, डायन, चुड़ैल पर विश्वास करते हों या न हों लेकिन उनकी कहानियां कतई दिलचस्प होती थी. बड़े होने के बाद भी अगर भूत शब्द कहीं दिख जाए तो एक पल रुककर वो रील, पोस्ट या न्यूज़ हम ज़रूर देखते हैं. कुछ लोग दावा करते हैं कि भूत से उनका सामना हुआ और वो बचकर निकले हैं. कुछ लोग भूत झाड़ने का भी दावा करते हैं. और कुछ लोग विज्ञान का हवाला देकर कहते हैं कि ये हमारे मन का वहम है.

इंडिया टाइम्स हिंदी आप तक दुनिया के कोने-कोने से दिलचस्प कहानियां ढूंढकर लाता है. लिखने और पढ़ने के इस रिश्ते को बरक़रार रखते हुए आज हम बात करेंगे भारत के कुछ बेहद ज़रूरी, चर्चित अदालती मुकदमों (Famous Court Cases of India) की. इस कड़ी में आज हम जिस केस के बारे में बात करेंगे जिसे पढ़ने के बाद न्याय व्यवस्था और समाज दोनों पर ही सवाल उठते हैं. एक शख्स ने भूत समझकर दो औरतों पर हमला किया, दोनों की मौत हो गई और कोर्ट ने शख़्स को बरी कर दिया. हम बात कर रहे हैं, State of Orissa vs Ram Bahadur Thapa केस की

मालिक को देखना था ‘भूत’

ram bahadur thapa casePinterest

जगत बंधु चैटर्जी, चैटर्जी ब्रदर्स फर्म के मालिक थे. राम बहादुर थापा नाम का उनका एक नेपाली नौकर था. अप्रैल 1958 में चैटर्जी राम बहादुर थापा के साथ ओडिशा के ज़िला बालासोर स्थित गांव रासगोविंदपुर पहुंचे. रासगोविंदपुर में एक पुराना एरोड्रम था और हवाई जहाज़ के कई पुराने टुकड़े थे. जगत बंधु चैटर्जी हवाई जहाज़ के स्क्रैप पार्ट्स खरीदने आए थे. डिफ़ेंस डिपार्टमेंट के गैरिसन इंजीनियर ने इस ऐरोड्रम की देख-रेख की ज़िम्मेदारी दो चौकीदारों- दिवाकर और गोविंद को दी. इस गांव के चारों तरफ़ संथाल और माझी जनजाति के लोगों के कई गांव थे. जगत चैटर्जी और राम बहादुर रासगोविंदपुर में कृष्ण चंद्र पात्र के घर पर रुके.

स्थानीय लोगों के बीच एरोड्रम को लेकर कई कहानियां प्रचलित थे. लोगों का मानना था कि इस सुनसान इलाके में भूत रहते हैं. रात में लोग एरोड्रम के पास अकेले नहीं जाते थे.

‘भूत’ समझा और आदिवासियों को मार डाला

Ram Bahadur Thapa CaseTen Tree

20 मई, 1958 को तेलकुंडी गांव का रहने वाला एक आदिवासी, चंद्र माझी कृष्ण चंद्र पात्र की चाय के दुकान पर पहुंचा. रात के 9 बज चुके थे और उसे अकेले अपने गांव जाने में डर लग रहा था. जगत चैटर्जी भूत देखना चाहते थे. रात के तकरीबन 12 बजे चैटर्जी ने कृष्ण चंद्र पात्र से अपनी इच्छा ज़ाहिर की. चंद्र माझी को सभी ने जगाया और उसे उसके गांव, तेलकुंडी छोड़ने गए. माझी को छोड़कर बाकी लोग वापस रासगोविंदपुर लौट रहे थे. रास्ते में एरोड्रम के कैम्प नंबर IV में उन्होंने रौशनी दिखी.

हवा तेज़ थी और रौशनी देखकर उन्हें लगा कि ये कोई साधारण रौशनी नहीं बल्कि will-o’ the wisp है. तीनों को लगा कि रौशनी के इर्द-गिर्द भूत नाच रहे हैं और तीनों उस तरफ़ दौड़े.

राम बहादुर थापा पहले पहुंचा, उसने खुकरी निकाली और ‘भूत’ पर हमला कर दिया. कुछ देर बाद कृष्ण चंद्र पहुंचा, राम बहादुर थापा ने अंधेरे में उस पर भी वार कर दिया. कृष्ण चंद्र दर्द में चीखा और दूसरे ज़ख्मी लोग भी शोर मचाने लगे. इसे बाद राम बहादुर थापा ने हमला करना बंद किया. बाद में पता चला कि राम बहादुर ने जिन्हें ‘भूत’ समझा था वो माझी औरतें थी. ये औरतें लालटेन लेकर महुआ के फूल चुनने आई थी.

राम बहादुर के हमले की वजह से एक महिला की मौत हो गई. गंगा और सौंरी नामक दो महिलाएं और कृष्ण चंद्र बुरी तरह घायल हो गए.

राम बहादुर थापा को सेशन्स कोर्ट ने रिहा कर दिया

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राम बहादुर थापा ने एक महिला का कत्ल कर दिया था. पुलिस ने उसे IPC धारा 302 और IPC धारा 326 के तहत गिरफ़्तार किया और जेल में डाल दिया. मामला कोर्ट पहुंचा, कुछ महीनों की सुनवाई के बाद सेशन्स कोर्ट ने राम बहादुर को रिहा कर दिया. सेशन्स कोर्ट के जज का मानना था कि राम बहादुर ने जान-बूझकर हत्या नहीं की. IPC सेक्शन 79 के तहत उसे छोड़ दिया गया.

हाई कोर्ट के पास पहुंचा मामला

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हाई कोर्ट ने पहले जगत बंधु चैटर्जी के बयान को तवज्जो दी. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त ने ‘सोच-समझकर काम नहीं किया’. कोर्ट ने कहा कि नौकर को ये यकिन था कि वो भूत पर हमला कर रहा है. वो चैटर्जी और पात्र की बात सुनता लेकिन किसी ने भी उसका मन बदलने का प्रयास नहीं किया.

कोर्ट ने कहा, ‘थापा के हाथ में टॉर्च थी, अगर उसके दिमाग में ज़रा भी शक होता तो वो टॉर्च से देखता कि वो साया इंसान का था. टॉर्च न जलाना इस बात की तरफ़ इशारा करता है कि अभियुक्त से सच में तथ्य की भूल (Mistake of Fact) हुई है.’

हाई कोर्ट ने सेशन्स कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

IPC सेक्शन 79 क्या है?

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 79 के अनुसार यदि किसी से तथ्यों की जानकारी न होने की वजह या तथ्य की भूल की वजह से आपराधिक कृत्यु हआ है तो उसे कोर्ट माफ़ कर सकता है.