नगर निगम सोलन में एक बार फिर मेयर और डिप्टी मेयर के बीच तीखा टकराव सामने आया है। इस बार बहस की चिंगारी राज्यस्तरीय शूलिनी मेले के भंडारों से वसूले जाने वाले ₹2000 के सफाई शुल्क पर भड़की है। मामला अब सीधे-सीधे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में तब्दील हो गया है। मेयर ऊषा शर्मा ने तीखे शब्दों में कहा कि यह फैसला अगस्त 2024 में नगर निगम की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उस समय डिप्टी मेयर कार्यकारी मेयर की भूमिका में थीं और बैठक की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी। मेयर ने सवाल उठाया कि जब भाजपा के पार्षदों ने खुद इस फैसले का समर्थन किया था, तो अब इसका विरोध करना केवल राजनीति से प्रेरित कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि शूलिनी मेले जैसे आस्था के पर्व को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश की जा रही है।दूसरी ओर डिप्टी मेयर मीरा आनंद ने मेयर के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा कि अगस्त की बैठक में शूलिनी मेले को लेकर कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में आयोजित मेले से संबंधित किसी बैठक में सफाई शुल्क को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। बाइट मीरा आनंद
इस तकरार ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि नगर निगम सोलन में समन्वय की भारी कमी है। बिना स्पष्ट सोच और तैयारी के फैसले लिए जा रहे हैं और अंततः इसका खामियाज़ा आम जनता और धार्मिक आयोजनों को भुगतना पड़ रहा है। अब यह विवाद शूलिनी मेले की गरिमा पर भी असर डालने लगा है। यदि राजनीतिक दल और प्रतिनिधि समय रहते नहीं चेतें, तो शूलिनी जैसा आस्था और श्रद्धा का मेला भी सियासत का शिकार बन जाएगा – और जनता का भरोसा पूरी व्यवस्था से उठ जाएगा।
शूलिनी मेले पर सियासी घमासान: मेयर-डिप्टी मेयर आमने-सामने, नगर निगम बना टकराव का अखाड़ासोलन।
