शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सियासी बयानबाज़ी से हलचल मच गई है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की सोशल मीडिया पोस्ट – “साजिशों का दौर, झूठ के पांव नहीं होते” – ने जहां प्रदेश की सत्ता में संभावित अंतर्विरोधों की ओर इशारा किया, वहीं कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा इस पोस्ट का अप्रत्यक्ष समर्थन किए जाने से चर्चाओं ने और ज़ोर पकड़ा।
हालांकि, दोनों नेताओं ने इन पोस्टों के बाद कोई औपचारिक बयान नहीं दिया, लेकिन प्रदेश की राजनीति में इन संदेशों को मौन असहमति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस तेज हो गई है।
इस सियासी तापमान को ठंडा करने के लिए सरकार की ओर से उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान सामने आए। उन्होंने बयान जारी कर कहा –
“सरकार में कोई मतभेद नहीं है। हम सब एकजुट हैं और अपने-अपने कार्यों में लगे हुए हैं। ऑल इज वेल!”
उनके इस बयान को डैमेज कंट्रोल की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि विपक्ष को सरकार में दरार के आरोप लगाने का मौका न मिले। वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर कुछ विधायकों ने ऑफ रिकॉर्ड यह जरूर स्वीकार किया कि हाल के घटनाक्रमों ने “संदेश” जरूर दिया है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे सोशल मीडिया संकेत सत्ता में असहमति या नाराजगी का संकेत हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल खुलेआम कोई भी नेता पार्टी लाइन से बाहर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
फिलहाल प्रदेश की कांग्रेस सरकार स्थिर है, पर सोशल मीडिया पोस्ट की ये ‘बातें’ आने वाले समय में किस दिशा में जाती हैं, इस पर सभी की नज़रें टिकी हैं।