डिप्टी सीएम को प्रदेश के सबसे बड़े कद के नेता बताकर विक्रमादित्य ने कहीं न कहीं अपनी नज़दीकी और एक धड़े के प्रति निष्ठा जताई, वहीं यह कहकर कि वीरभद्र सिंह एक धड़े के सीएम नहीं थे, 6 बार सीएम बनने के लिए दम चाहिए —उन्होंने यह भी जता दिया कि वर्तमान नेतृत्व उस ऊंचाई को छूने से अब भी कोसों दूर है।हिमाचल की कांग्रेस सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा—यह अब कहने की जरूरत नहीं रही, क्योंकि खुद सरकार के मंत्री ही खुलकर संकेत देने लगे हैं। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का ताजा बयान डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के समर्थन में जरूर था, लेकिन उनके शब्दों में छिपी तल्खी और संकेतों ने पार्टी के भीतर की खींचतान को सतह पर ला खड़ा किया है। विक्रमादित्य सिंह ने साफ कहा कि अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहना मेरे DNA में है और इसे पार्टी के भीतर की साजिश से जोड़ना सही भी है। यह बयान यूं ही नहीं आया, बल्कि कांग्रेस के भीतर जारी अंतर्कलह और गुटबाज़ी की तरफ साफ इशारा करता है। हरोली में विकास न दिखने की बात को लेकर उन्होंने बीजेपी पर तो आरोप जड़ा, लेकिन साथ ही यह भी माना कि सरकार के भीतर कुछ चेहरे लगातार निशाने पर हैं—जो कि सरकार की अपनी ही कमजोरी का आईना है। यह बयान न केवल डिप्टी सीएम के समर्थन में था, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी सियासत की कलई खोलने वाला भी था। विक्रमादित्य के सुरों से साफ है कि वीरभद्र की गैरमौजूदगी में पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर असंतोष और ध्रुवीकरण लगातार बढ़ रहा है।
कुल मिलाकर, हिमाचल की सत्ता के गलियारों में इन बयानों ने गर्माहट बढ़ा दी है, और यह सवाल खड़ा हो गया है—क्या हिमाचल कांग्रेस फिर उसी पुरानी राह पर लौट रही है, जहां एकता सिर्फ मंच की तस्वीरों तक सीमित रह जाती है?
