अगर आप नारियल के खोल को डस्टबिन में फेंक देते हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए. दरअसल, इसकी मदद से प्लास्टिक का एक अच्छा विकल्प तैयार किया जा सकता है. यह पढ़कर आपको अजीब लग रहा होगा, लेकिन इसे छत्तीसगढ़ के सुरेंद्र बैरागी ने सच कर दिखाया है. उन्होंने प्लास्टिक डिस्पोजल बर्तन के विकल्प के रूप में दो हिस्सों में कटे हुए नारियल के खोल का प्रयोग कर ड्रॉयफूड बॉक्स, चमच्च, गिलास, कटोरी, इत्यादि तैयार कर दिया. सुरेंद्र बैरागी ने यह कैसे संभव कर दिखाया यह जानने के लिए इंडिया टाइम्स ने उनके साथ खास बातचीत की:
सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प क्या?
सुरेन्द्र कहते हैं, ”जैसा कि आपको पता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के 19 आइटम्स को एक जुलाई से प्रतिबंधित कर दिया गया है. सरकारी आदेश के मुताबिक अगर किसी को इनका यूज करते पाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सच तो यह है कि इसका बहुत अधिक असर फिलहाल जमीन पर नहीं दिख रहा है.”
बड़े काम का है छोटा सा नारियल
”व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि जब तक हम प्लास्टिक के विकल्पों पर काम नहीं करेंगे तब तक बात नहीं बनेगी. इसी दिशा में हाल ही में मैंने अपने घर पर एक छोटा सा प्रयोग किया, जिस दूसरे लोग भी अपने-अपने घरों में अपना सकते हैं और प्लास्टिक के सामान को अलविदा कह सकते हैं.”
‘प्लॉस्टिक पॉल्यूशन’ कंट्रोल करने में अहम
”मैंने कुछ खास नहीं किया. बस दो हिस्सों में कटे हुए नारियल के खोल के उपयोग से चमच्च, गिलास, कटोरी, कप-प्लेट जैसे कई बर्तन तैयार कर दिए हैं. मुझे खुशी है कि लोगों ने इन्हें पसंद किया और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में देखा. यकीन मानिए ये प्लॉस्टिक पॉल्यूशन कंट्रोल करने में अहम रोल निभा सकता है.”
प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ जंग
बता दें, लोहे की एक फैक्ट्री में क्लर्क के रूप में काम करने वाले बैरागी और उनके परिवार ने कसम खा रखी है कि वो कभी भी प्लास्टिक व थर्मोकोल के बर्तन में न खाएंगे और ना ही किसी को खाने देंगे. उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है और स्थानीय लोगोंं में जागरूकता भी फैला रहे हैं.
सालों से चला रहे हैं एक ‘बर्तन बैंक’
बैरागी सालों से अपने इलाके में एक ‘बर्तन बैंक’ चला रहे हैं. वो लोगों को शादी-ब्याह, भंडारा और बर्थडे जैसे कार्यक्रमों में खाना बनाने, परोसने और खाने के लिए हर तरह के बर्तन फ्री में मुहैया कराते हैं. उनका दावा है कि उनके इस कदम से उनके इलाके में प्लास्टिक के डिस्पोजल का उपयोग कम हुआ है.