डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में जलवायु लचीलेपन के लिए सब्जी फसलों के प्रजनन पर 21 दिवसीय उन्नत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आज संपन्न हुआ। सब्जी विज्ञान विभाग के अंतर्गत बागवानी (सब्जियां) में उन्नत संकाय प्रशिक्षण केंद्र द्वारा आयोजित इस पाठ्यक्रम में देश भर के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों और संस्थानों के पंद्रह वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण में भाग लिया।
समापन समारोह के दौरान अपने संबोधन में कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने शुष्क भूमि और जल-तनावग्रस्त परिस्थितियों में खेती के तरीकों पर अधिक शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पानी जैसे मूल्यवान संसाधन का अच्छी सिंचाई सुविधाओं वाले क्षेत्रों में इसके अत्यधिक उपयोग को रोकने के प्रयासों का आह्वान किया। प्रोफेसर चंदेल ने बदलती जलवायु परिस्थितियों का सामना करने के लिए व्यावसायिक सब्जी फसलों की नई किस्मों को विकसित करने की रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपने शोध प्रस्तावों में प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों को शामिल करने और नई शोध पहलों को डिजाइन करते समय स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र पर विचार करने का आग्रह किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रतिभागियों को किसानों के साथ मजबूत भावनात्मक संबंध बनाने और अपने काम की प्रासंगिकता और प्रभाव को बढ़ाने के लिए अपने साथियों के साथ नियमित संचार बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
सब्जी विज्ञान विभाग के प्रमुख और उन्नत संकाय प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक डॉ. हैप्पी देव शर्मा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और केंद्र के दीर्घकालिक योगदान के बारे में बताया। 1994 में अपनी स्थापना के बाद से, उन्नत संकाय प्रशिक्षण केंद्र ने 33 उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिससे 600 से अधिक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सब्जी विज्ञान में अपने कौशल को बढ़ाकर लाभ हुआ है।
पूरे पाठ्यक्रम के दौरान, छह प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को सब्जी प्रजनन में अत्याधुनिक शोध प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ संकाय सदस्यों द्वारा 27 व्याख्यान दिए गए, जिसमें सब्जी उत्पादन, पौधों की सुरक्षा और बागवानी के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया।
प्रशिक्षण में किसानों के लिए प्रभावी हस्तांतरण विधियों के साथ-साथ सब्जियों की नई किस्मों और नवीन प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास की आवश्यकता पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने भारत की बढ़ती आबादी के लिए पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकता बढ़ाने और सब्जियों की खेती के विस्तार के महत्व पर भी जोर दिया। संरक्षित सब्जियों की खेती के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों के विकास पर भी चर्चा की गई।
प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के फार्मों और प्रयोगशालाओं के साथ-साथ मशरूम अनुसंधान निदेशालय, केंद्रीय आलू अनुसंधान प्रयोगशाला और मशोबरा में विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन और कंडाघाट में कृषि विज्ञान केंद्र सोलन जैसे अनुसंधान संस्थानों का दौरा करने का भी अवसर मिला। कार्यक्रम का समापन प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. कुलदीप सिंह ठाकुर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।