74वें गणंतत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2023) की घोषणा की गई. 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा. इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं. पद्म श्री पुरस्कार पाने वालों में गुजरात के सिद्दी समाज की हीराबाई लोबी (Hirabai Lobi) का भी नाम है. हीराबाई लोबी ने सिद्दी समाज और खासतौर पर महिलाओं के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया.
बचपन में ही छिन गया था माता-पिता का साया
हीराबाई लोबी गुजरात के गिर सोमनाथ ज़िले के तलाला तहसील के जांबुर गांव की रहने वाली हैं. हीराबाई लोबी अफ़्रीकी मूल के सिद्दी समाज की सदस्य हैं. बचपन में ही हीराबाई के सिर से माता-पिता का साया उठ गया था. उनकी दादी ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया.
रेडियो सुनकर सीखा
हीराबाई को बुनियादी शिक्षा नहीं मिली लेकिन उनमें सीखने का जुनून था. रेडियो सुनकर ही उन्होंने काफ़ी ज्ञान प्राप्त किया. रेडियो पर एक बार जैविक खाद बनाने का तरीका बताया जा रहा था, हीराबाई ने सुनकर प्रक्रिया समझ ली और दिशा में काम किया. रेडियो के ज़रिए ही वो सरकारी योजनाओं, विकास कार्यक्रमों के बारे में जानकारी जुटाती और दूसरों को बताती.
बचपन में ही हो गई थी शादी
आजतक के लेख के अनुसार हीराबाई की शादी सिर्फ़ 14 साल की उम्र में ही कर दी गई थी. इसके बावजूद वो रुकी नहीं. योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए वो गांधीनगर सचिवालय के चक्कर लगाती. कई बार पुरुषों ने उनका विरोध भी किया.
सिद्दी समाज की महिलाओं की किस्मत बदल दी
हीराबाई ने अपनी ज़िन्दगी का ज़्यादातर वक्त सिद्दी समाज की महिलाओं को शिक्षित और सशक्त करने में बिताया. अब तक वो 700 से अधिक महिलाओं और बच्चों की किस्मत बदल चुकी हैं.
इसके अलावा उन्होंने सिद्दी समाज की महिलाओं को रोज़गार दिलाने की भी कोशिशें की. यही नहीं हीराबाई ने उनके बैंक खाते भी खुलवाए. ये आसान नहीं था लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा. उनकी वजह से जंबूर गांव की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो पाईं.
2004 में उन्होंने महिला विकास फाउंडेशन की स्थापना की. हीराबाई को रिलायंस रियल अवॉर्ड, जानकी देवी प्रसाद बजाज अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.