शूलिनी यूनिवर्सिटी में “कृषि-उत्पादन और मूल्य संवर्धन” पर आयोजित दस दिवसीय स्किल डेवलेपमेंट सर्टीफीकेट कोर्स रविवार को संपन्न हुआ। यह कोर्स एनएएचईपी कंपोनेंट 2 और आईसीएआर-एनएएआरएम की तरफ से फंडिड डॉ. वाईएस परमार हॉर्टीकल्टर एंड फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी और शूलिनी यूनिवर्सिटी के एमएस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के सहयोग से आयोजित किया गया । दोनों यूनिवर्सिटीज़ के पच्चीस स्टूडेंट्स के लिए डिज़ाइन किए गए इस कोर्स में पैंतीस एक्सपर्ट्स के नेतृत्व में इकतालीस सेशंस शामिल थे।
कोर्स वैल्यू एडिशन पर मूलभूत विषयों के साथ शुरू हुआ, जिसमें साल भर उपयोग, पोषण संबंधी लाभ और आर्थिक प्रभाव शामिल थे। इसके बाद कोर्स में बीज की गुणवत्ता और पौधों की बीमारी प्रबंधन समेत कृषि संबंधी प्रथाओं पर बात की गई। चौथे और पांचवें दिन आयोजित हुए प्रैक्टिकल फील्ड वीज़िट ने स्टूडेंट्स को बेहतरीन अनुभव दिया; चमेल्टी फार्म में चौथे दिन फसल प्रबंधन, कीट नियंत्रण और मशीनरी संचालन शामिल था, जबकि यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी में पांचवें दिन में खाद्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, मशरूम की खेती और ड्रोन का इस्तेमाल शामिल था। बाद के दिनों में मधुमक्खी पालन, कीटनाशक विषाक्तता, खाद्य सुरक्षा और नवीन शेल्फ-जीवन विस्तार विधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। कोर्स के दौरान स्टूडेंट्स ने पैकेजिंग तकनीकों के बारे में भी सीखा । 9वें दिन, कृषि व्यवसाय योजना पर जोर दिया गया, जिसमें विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, वित्तीय दस्तावेजीकरण और बाजार के रुझान शामिल थे। कोर्स का समापन ताजा और प्रसंस्कृत उत्पादों के पोषण मूल्य, उन्नत पैकेजिंग विधियों और बौद्धिक संपदा अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ हुआ, जिसमें आईसीएआर-एनएएआरएम के संयुक्त निदेशक, डॉ. एसके सोम ने पेटेंट विकसित करने में समस्या-समाधान दृष्टिकोण की भूमिका पर चर्चा की। कोर्स ने सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि को व्यावहारिक अनुभवों के साथ प्रभावी ढंग से मिश्रित किया, जिससे प्रतिभागियों को कृषि-उत्पादन क्षेत्र में सफलता के लिए जरूरी कौशल और ज्ञान से लैस किया गया।