हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को पद से हटाने को लेकर विधानसभा सचिव को विपक्ष द्वारा नियम 274 के तहत नोटिस दिया गया। लेकिन विधानसभा सदन में उनके द्वारा कार्रवाई का संचालन करने और विपक्ष को ना बोल देने पर विपक्ष ने सदन के अंदर ही हंगामा शुरू कर दिया सदन की कार्रवाई शुरू होते ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने इसको लेकर चर्चा मांगी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इसकी इजाजत नहीं दी गई जिसके बाद विपक्ष द्वारा सदन के अंदर ही नारेबाजी शुरू कर दी और सदन से वर्कआउट कर बाहर आ गए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि जिस तरह का व्यवहार विधानसभा अध्यक्ष का है उसको लेकर सचिव को नोटिस दिया गया और उन्हें पद से हटाने की मांग की गई । नोटिस देने के बाद विधानसभा अध्यक्ष कार्यवाई का संचालन नही कर सकते है उन्हें आसान छोड़ना चाहिए था।लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि विधानसभा अध्यक्ष ही सदन की कार्यवाई का संचालन कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष खुद को कानून और नियमो से ऊपर मानते है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार द्वारा नियमो का हवाला देते हुए चर्चा की मांग की। लेकिन उन्हें बोलने नहा दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष का घमंड दिमाग मे आ गया है। इसके अलावा नियम 67 के तहत सदन में प्रस्ताव रखा गया और जिस तरह से कर्मचारियों को एक तारीख बीत जाने के बाद भी वेतन नही मिल रहा है इस पर चर्चा की मांग रखी लेकिन चर्चा का समय नही दिया गया । जबकि ये गंभीर विषय था। मुख्यमंत्री एक तरह बयान दे रहे है कि प्रदेश में आर्थिक संकट है । दूसरी ओर स्तिथि ठीक है। यदि आर्थिक संकट नही है तो कर्मचारियों को वेतन क्यो नही दिया जा रहा है।