सोलन: शिक्षा विभाग के आवासीय प्रशिक्षण शिविर में 11 अध्यापकों के फूड पॉइजनिंग का शिकार होने की घटना ने प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारियों की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। यह मामला अब गंभीर सवाल खड़े कर रहा है कि क्या सरकारी विभाग जनसुरक्षा के नाम पर केवल दिखावा कर रहे हैं? खाद्य सुरक्षा विभाग ने दावा किया है कि होटल में बिसलेरी के पानी की आपूर्ति की गई थी, जिससे यह साफ होता है कि खाने में कोई न कोई खामी जरूर थी। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षा विभाग ने इस घटना की सूचना समय पर खाद्य सुरक्षा विभाग को नहीं दी। जब तीसरे दिन खाद्य सुरक्षा विभाग को इस बारे में जानकारी मिली, तब जाकर उनकी टीम ने होटल पहुंचकर दाल और अन्य खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए।
स्वास्थ्य विभाग के एमएस महेंद्र पाल ने बताया कि सैंपल जांच के लिए जुंगा लैब भेजे गए हैं और रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी अध्यापकों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है।
बाइट स्वास्थ्य विभाग के एमएस महेंद्र पाल
जनता जानना चाहती है कि आखिर किसकी गलती से 11 अध्यापकों की जान खतरे में पड़ी? क्या दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी सरकारी फाइलों में दफन होकर रह जाएगा? प्रशासन की इस लापरवाही ने सरकारी व्यवस्थाओं पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है।