जिनके हौसले बुलंद होते हैं, वे मेहनत करने से पीछे नहीं हटते और कामयाबी उनके कदम चूमती है. पंजाब से एक से ही शख्स की कहानी सामने आई है, जहां संगरूर जिले के भवानीगढ़ के रहने वाले बासु ने शुरुआत में टूटी-फूटी रेहड़ी जिसमें टायर तक नहीं थे, उसे घसीटकर बाजार तक लाते और छोले-कुलचे बेचते थे.
वे मुश्किलों का सामना करते हुए मेहनत करते रहे. आज 40 लाख रुपए में उन्होंने दो मंजिला दुकान ख़रीद ली, उनकी कहानी दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.
कभी रेहड़ी पर कुलचे बेचने वाला बना लाखों का मालिक
न्यूज़ 18 की एक खबर के मुताबिक, ‘बासु कुलचे वाला’ नाम से मशहूर 28 वर्षीय बासु ने अपनी कामयाबी का श्रेय मेहनत और लगन को दिया है. वे टूटी-फूटी रेहड़ी पर छोले कुलचे बेचते थे. मुश्किल हालात में भी हिम्मत नहीं हारी, मेहनत से पीछे नहीं हटे.
उनके संघर्ष का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि वो जब रेहड़ी पर छोले-कुलचे बेचते थे, तब कभी-कभार उसे बनाने में जो भी सामग्री लगती थी. उसके पैसे भी उनके पास नहीं होते थे. वो अपने दोस्तों से उधार लेकर सामान खरीदते थे और कुलचे बेचकर उनका पैसा उन्हें वापस लौटा देते थे, लेकिन आज बासु ने 40 लाख रुपए की कीमत में एक दो मंजिला दुकान खरीदा है. जिसमें वो छोले कुलचे बेचते हैं.
बासु के कुलचे दूर-दूर तक मशहूर हैं जिसका जायका लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. वो प्रतिदिन 500 कुलचे बेच लेते हैं. बासु की दुकान में आप कई प्रकार के कुलचे का स्वाद ले सकते हैं. इनमें लेमन कुलचा, चिप्स क्रंची कुलचा, आइस कुलचा, कुरकुरे कुलचा और पीनट कुलचा शामिल है. जिसका स्वाद शायद ही कभी आपने चखा होगा.
कभी ठेले पर बेचते थे फास्टफूड, आज कमाते हैं हजारों
ठीक ऐसी ही कहानी है एक मामा-भांजे की. दरअसल, बिहार के बेतिया पूर्वी कारगाहियां के रहने वाले 35 साल के मामा और उनके 28 साल के भांजे ने, परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 3 साल पहले मिलकर एक फास्ट फूड का ठेला लगाया, लेकिन आज संघर्ष और मेहनत के दम पर उनकी एक नहीं बल्कि 2 पक्की दुकान है.
एक रेस्तरां में वो फ़ास्ट फ़ूड का स्वाद लोगों को चखाते हैं, जबकि दूसरी बिरयानी हाउस के नाम से है. हालांकि, उनके ठेले गाड़ी से रेस्तरां बनाने तक की कहानी काफी संघर्षपूर्ण है. उन्होंने काफी मुश्किलों का सामना करते हुए कामयाबी हासिल की है.