इंसान अगर चाहे तो वो नामुमकिन को मुमकिन बना सकता है. ज़रूरत है अगर तो वो कुछ ग्राम आत्मविश्वास की, कुछ ग्राम दृढ़ निश्चय और स्वादानुसार धैर्य, और बस सफ़लता क़दम चूमने के लिए तैयार है. केरल के एक मां-बेटे की जोड़ी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. कवि दुष्यंत कुमार के शब्दों में कहा जाए तो उन्होंने आसमान में सुराख कर दिखाया है.
केरल के मां-बेटे की जोड़ी हिट है
एर्नाकुलम, केरल के जीतू थॉमस (Jithu Thomas) सिर्फ़ 19 साल के थे जब उन्होंने एक पैकेट में मशरूम के बीज लगाए. ये उनका और उनकी मां लीना थॉमस (Leena Thomas) का पसंदीदा पास टाइम था.
The Better India से बात-चीत में जीतू ने बताया, ‘मैं मशरूम फार्मिंग के बारे में काफ़ी पढ़ता था और ऑनलाइन रिसर्च से चीज़ें और आसान हो गई. आज अम्मा पिरावोम स्थित अपने घर के पास और मैं 5000 वर्ग फ़ीट का फ़ार्म स्पेस और लैब एरिया संभालते हैं.’
Leena’s Mushroom की शुरुआत
अच्छी क्वालिटी के मशरूम उगाने के लक्ष्य के साथ 2012 में लीनाज़ मशरूम (Leena’s Mushroom) की शुरुआत हुई. इनकी वेबसाइट के मुताबिक, सबसे पहले केवीके कुमारकोम में मशरूम प्रोडक्शन और स्पॉन मेकिंग में एक दिन का ट्रेनिंग कोर्स किया गया. ट्रेनिंग कोर्स के दौरान ही मशरूम प्रोडक्शन में रूचि बढ़ी. बतौर हॉबी शुरु की गई चीज़ ने कुछ ही समय में बिज़नेस की शक्ल ले ही.
लीनाज़ फ़ार्म में आज रोज़ाना 200 किलोग्राम मशरूम उगाया जाता है. इस फ़ार्म के मशरूम एर्नाकुलम ज़िले 100 से ज़्यादा रिटेल स्टोर्स पर जाते हैं और यहां हर महीने 2 टन तक अच्छी क्वालिटी का मशरूम स्पॉन (मशरूम के बीज) उगाया जा सकता है.
नियंत्रित जलवायु से मशरूम प्रोडक्शन
वैज्ञानिक पद्धति से मशरूम उगाने और अच्छी प्लानिंग की वजह से इस फ़ार्म ने दो बाढ़ और पैंडमिक झेल लिया लेकिन मशरूम की बिक्री में भारी गिरावट नहीं आई. जीतू के शब्दों में, ‘मशरूम्स उगाने के लिए कन्ट्रोल्ड क्लाइमेट चाहिए, तापमान 30 डिग्री से कम नहीं होना चाहिए. सही कूलिंग सिस्टम लगाना बहुत ज़रूरी है. हमने कमरों को ऐसे डिज़ाइन किया है कि जहां 5,000 बेड्स की जगह हो वहां 20,000 बेड्स आसानी से लगाया जा सकता है.’
दूसरों की भी ज़िन्दगी बदल रहे हैं
लीनाज़ फार्म पर 11 महिलाएं काम करती हैं. मशरूम्स को 200 ग्राम के पैकेट में पैक किया जाता है और रिटेल स्टोर्स, स्थानीय सब्ज़ी विक्रेताओं को सप्लाई किया जाता है. फ़ार्म के मशरूम अगर खुली हवा में रखे हों तो दो दिन के अंदर इस्तेमाल करने की हिदायत दी जाती है, अगर फ़्रिज में रखा जाए तो इन्हें 5 दिन तक रखा जा सकता है.
आसान भी है और मुश्किल भी है मशरूम की खेती
जीतू ने फ़िज़िक्स में ग्रैजुएशन किया और सोशल वर्क में पोस्ट ग्रैजुएशन. उनके लिए मशरूम एक साइड बिज़नेस था. लीना ने हमेशा जीतू को खेती करने के लिए प्रेरित किया. दोनों मां-बेटे मिलकर न सिर्फ़ खुद बल्कि दूसरों को भी पैसे कमाने का मौका दे रहे हैं. ग़ौरतलब है कि मशरूम फार्मिंग जितनी आसान है उतनी ही मुश्किल भी. जीतू ने बताया कि तापमान में 1 डिग्री का भी अंतर फसल में कीड़े लगा सकता है.
लीनाज़ फ़ार्म मशरूम के बीज दूसरे किसानों को भी देते हैं. जीतू दूसरे किसानों को मशरूम उगाने की ट्रेनिंग भी देते हैं.