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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में बारिश के मौसम में एक खास सब्जी मार्केट में देखने को मिलती थी, जो इस बार नदारद है. यह एक जंगली सब्जी है, जिसे शाकाहारियों का मटन भी कहा जाता है. जिसका दाम मटन से लगभग तीन गुना अधिक होता है.
कटरुआ मार्केट से क्यों नदारद?
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दरअसल, पीलीभीत के जंगलों में बरसात के मौसम में कटरुआ नामक सब्जी उगती है. जिसे जंगल के आस-पास बसे ग्रामीण खोदकर बाजारों तक पहुंचाते हैं. लेकिन पीलीभीत का जंगल रिजर्व फ़ॉरेस्ट है तो इसमें कटरुआ को बिनना गैर कानूनी है. फिर भी हर साल धड़ल्ले से यह सब्जी मार्केट में बेची जाती रही.
इस जंगली सब्जी की कीमत बहुत अधिक होती है. इसे 1000-1500 रुपए किलो के बीच बेचा जाता है. मगर, साल 2014 में पीलीभीत के जंगल को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया था. ऐसे में जंगल में बिना किसी अनुमति के प्रवेश वर्जित है. बावजूद इसके बीते कुछ सालों में चोरी छिपे लोग इस कटरुआ सब्जी को बिनकर मार्केट में बेचते रहे. लेकिन इस साल वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के अलर्ट होने के बाद से वन विभाग सख्ती के साथ निगरानी कर रहा है. जिसकी वजह से कटरुआ सब्जी को बिनना मुश्किल हो गया है.
छापेमारी में बरामद हुई थी 50 किलो कटरुआ
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वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते दिनों शहर के स्टेशन चौराहे पर चोरी छिपे कटरुआ बेचीं जा रही थी, लेकिन वन विभाग ने छापा मरते हुए तक़रीबन 50 किलो कटरुआ बरामद किया था. जिसके बाद से ही कटरुआ मार्केट से बिल्कुल नदारद हो गई है.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है. अगर कोई गैरकानूनी तरीके से कटरुआ बिनने व उसे बेचते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि शाकाहारियों का मटन कटरुआ भले ही जंगली सब्जी है, लेकिन इसके पकाने का तरीका नॉनवेज की तरह होने की वजह से इसे शाकाहारी मटन कहा जाता है. जिसमें प्रोटीन समेत कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं.