सोलन: राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन की जैवरसायन वैज्ञानिक डॉ. रितु ने बताया कि संस्थान ने हाल ही में दुर्लभ किस्म के टर्की टेल मशरूम की खेती की नई तकनीक विकसित की है। उनका कहना है कि यह मशरूम प्राकृतिक रूप से एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई देशों में पाया जाता है और मुख्यतः पेड़ों की सूखी टहनियों पर उगता है। संस्थान द्वारा तैयार की गई तकनीक के अनुसार इसकी खेती बुरादा माध्यम पर की जा सकती है। सफल उत्पादन के लिए तापमान का संतुलन अत्यंत आवश्यक है, जिसमें बीज फैलने की अवस्था के दौरान 23 से 25 डिग्री तापमान और फलन की अवस्था में 18 से 20 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना गया है।डॉ. रितु ने बताया कि यह मशरूम पूरी तरह औषधीय महत्व वाला है और इसमें मौजूद विशेष तत्व इसे रोगों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं। इसमें पाए जाने वाले मुख्य तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं तथा कैंसर और मधुमेह जैसे गंभीर रोगों में लाभकारी माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह सामान्य मशरूम की तरह सीधे सेवन करने योग्य नहीं है, बल्कि इसे दवाइयों, अर्क और अन्य स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के रूप में उपयोग में लाया जाता है। संस्थान का मानना है कि इस तकनीक के व्यावहारिक उपयोग से किसान नई फसल का विकल्प अपनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं