NEET Aspirants : 10वीं के बाद छूटा स्कूल, कपड़ा मिल में किया काम, कपड़ा मिल मजदूर युवक अब बनेगा डॉक्टर

Rajasthan NEET Student Success Story : राजस्थान के जोधपुर संभाग के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव नौकड़ा के रहने वाले सूर्यप्रकाश ने बड़ी सफलता हासिल की है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सूर्य प्रकाश ने ओबीसी श्रेणी में एआईआर 892 रैंक हासिल की है।

जोधपुर: परिस्थितियां कभी भी इंसान को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती । इस बात को नीट परीक्षा में सलेक्ट हुए सूर्य प्रकाश से सच साबित कर दिखाया है। सूर्या प्रकाश के पिता और दादा मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। घर की स्थिति अच्छी नहीं है। उसकी मां घर चलाती है और पशुपालन से अपना गुजारा करती है। घर की माली हालात को देखते हुए सूर्य प्रकाश ने 11वीं कक्षा में साइंस सब्जेक्ट को नहीं चुना। साइंस में अच्छा होने के बावजूद सूर्यप्रकाश ने 11 वीं में हयूमैनिटी सब्जेक्ट को चुना। इसके पीछे उनकी मंशा यह थी कि वो इस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन कर क्लर्क जैसी नौकरी के लिए आवेदन करके सलेक्ट हो जाएं और गवर्नमेंट जॉब मिल जाएं। सू्र्य प्रकाश ने सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ‘मैं हमेशा साइंस सब्जेक्ट में टॉप स्कोरर रहा हूं, लेकिन मेरी कभी भी मेडिकल या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के बारे में सोचने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन कुछ लोगों ने समझाया, इसके बाद नीट का एग्जाम दिया और अब ऑल इंडिया रैंकिंग आई है।

बाड़मेर के छोटे से गांव नौकड़ा का रहने वाला है सूर्य प्रकाश

राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव नौकड़ा के इस युवा के लिए किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। परीक्षा देने के लिए अपने स्कूल के शिक्षक द्वारा प्रेरित प्रकाश मंगलवार को एनईईटी पास करने वाले जिले के 50 गांवों के समूह से पहले व्यक्ति बन गए और बाड़मेर क्षेत्र में अव्वल रहे। सूर्य प्रकाश ने ओबीसी श्रेणी में एआईआर 892 रैंक हासिल किया, जिससे उसे एक शीर्ष रैंकिंग वाला सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल गया है। बड़ी बात यह भी है कि गवर्नमेंट कॉलेज से पढ़ाई पूरी हो । इसके लिए अब ग्रामीण जुट गए हैं। मंगलवार को ग्रामीणों ने युवक की सफलता के बाद उसे माला पहनाई और इस दौरान उसकी खुशी में शामिल होने वालों का घर पर तांता लग गया। ग्रामीणों ने सूर्य प्रकाश की मेहनत और लग्न देखकर उसे आश्वासन दिया कि वे उसकी मेडिकल एजुकेशन के लिए धन जुटाएंगे।

छोड़ी 10 के बाद रेगुलर स्कूलिंग

बता दें कि सूर्य प्रकाश ने 10वीं के बाद रेगुलर स्कूलिंग छोड़ दी थी। वह अहमदाबाद की एक कपड़ा मिल में काम करने चले गए था। नीट रिजल्ट से एक दिन पहले तक भी सूर्य प्रकाश अहमदाबाद मिल में 10 घंटे मजदूर के रूप में काम कर रहा था, जिससे वह प्रतिदिन 500 रुपये कमाता है। प्रकाश ने दसवीं कक्षा तक गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन गरीबी और परिवार की स्थिति ने उसे यह अनुमति नहीं दी थी कि बड़ा सपना देखे, लेकिन अब लोग उसकी मदद के लिए जुट गए हैं और जल्द ही सूर्यप्रकाश गवर्नमेंट कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर के तौर पर देश की सेवा करेगा।

टीचर्स की मदद से मिला कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला

मिली जानकारी के अनुसार सूर्य प्रकाश का परिवार हर दिन दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाता था। उसका परिवार दो-तीन साल पहले तक एक कमरे के मिट्टी के घर में रहता था। इसके बाद राज्य सरकार की योजनाओं के तहत आर्थिक मदद मिली और पीएम आवास योजना के तहत दो कमरे का घर भी मिला। 13 साल की उम्र से पहले ही प्रकाश ने दुकानों और खेतों में हेल्पर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया और ग्यारहवीं कक्षा में अहमदाबाद कपड़ा मिल में शामिल हो गए। लेकिन सूर्य प्रकाश की मेहनत को देखते हुए उसके स्कूल टीचर्स ने प्रयास किया। इसके फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान की मुफ्त कोचिंग योजना के तहत उसे कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला मिल गया और अब उसने अच्छा स्कोर कर नीट में अपनी जगह बना ली है।