पंजाब के नारकोटिक्स सैल ने नशीली दवा मामले में तीन दिन बाद बददी में फिर दी दबिश

मालिक के तीनों उद्योगों पर कार्रवाई, स्माइलैक्स के बाद बायाजेनेटिक्स में पहुंची एसटीएफ
कुछ ही महीनों में उद्योग में तैयार की गई 20 करोड़ एल्पाजोलम दवा

पंजाब राज्य की नारकोटिक्स सैल व एसटीएफ टीम ने तीन दिन बाद फिर हिमाचल प्रदेश के बददी में दबिश दी है। स्माइलैक्स फार्माकैम उद्याेग में छापामारी के बाद अब झाड़माजरी के बायोजेनेटिक्स ड्रग उद्योग में छापामारी चल रही है। बता दें कि करोड़ों रुपयों का कच्चा व तैयार स्टॉक सीज करने व जांच के बाद पंजाब की टीम ने कई खामियां पाई हैं और उसके बाद रविवार को एक बार फिर हिमाचल प्रदेश के बददी पहुंचकर मालिक के दूसरे उद्योग में भी जांच शुरू दी है। उद्योगों के मालिक राजस्थान के जयपुर के निवासी हैं और उद्योगों के संचालन के लिए पंचकूला में भी रिहायश रखी है। छापामारी के बाद से उद्योग मालिक ने अभी तक जांच शामिल नहीं की है। बता दें कि मालिक एमबी गोयल के बददी में स्माइलैक्स हैल्थकेयर, स्माइलैक्स फार्माकैम और बायोजेनेटिक्स ड्रग तीन उद्योग हैं। इनमें से दो पर नारकोटिक्स टीम का छापा चल रहा है, जबकि तीसरे पर छापामारी की तैयारी चल रही है।

पंजाब से आई जांच दल ने पहले बददी के थाणा स्थित उद्योग में ट्रामाडोल दवा की जांच की। उसके बाद उन्हें पता चला कि एल्पाजोलम दवा का उत्पादन दूसरे उद्योग बायोजेनेटिक्स ड्रग में किया जाता है। अब टीम ने एल्पाजोलम दवा की जांच शुरू की है। शुरूआती जांच में पता चला है कि उद्योग के अंदर कुछ ही महीनों के अंतराल में 20 करोड़ एल्पाजोलम दवाओं का स्टॉक तैयार कर देश के अलग अलग हिस्सों के लिए भेजा है। बता दें कि स्माइलैक्स समूह के पास कई तरह की नारकोटिक्स ड्रग बनाने के लाइसेंस हैं। इनमें एल्पाजोलम, ट्रामाडोल आैर कोडिन शामिल है। यहां बनाई जाने वाली इन दवाओं का इस्तेमाल नींद, पेन किल्लर और कफ सिरप के लिए होता है।

जांच के दौरान यह भी पता चला है कि दवा उद्योग द्वारा इन दवाओं के उत्पादन के लिए तय एसओपी का पालन भी नहीं किया जा रहा था। इन दवाओं के उत्पादन के लिए संबंधित क्षेत्रों के दवा नियंत्रकों, दवा निरीक्षकों, एसपी व पुलिस कमीशनरों को भी सूचित करना होता है। दवा जब किसी दूसरे राज्य में भेजी जाती है तो उस समय भी संबंधित राज्य के दवा नियत्रक व संबंधित जिला के पुलिस अधीक्षक को इस बैच व स्टॉक की जानकारी दी जाती है। जांच के दौरान ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिला है।

10 माह में आया था 6500 किलो ट्रामाडोल : नारकोटिक्स
स्माइलैक्स फार्माकैम उद्योग में पिछले 10 माह के अंदर 6500 किलो ट्रामाडोल आया था। एक किलो ट्रामाडोल रॉ मैटीरियल से 20 हजार कैप्सूल बनाए जा सकते हैं। कुल ट्रामाडोल में से केवल 725 किलो ट्रामाडोल ही शेष बचा है। अब इस सारे रिकार्ड की पड़ताल नारकोटिक्स सैल द्वारा की जा रही है। जांच में पता चलेगा कि तैयार गोलियों का रिकार्ड उद्योग के पास सही है या नहीं। इस सारी दवा आपूर्ति के नेटवर्क को ट्रेक किया जाएगा और एंड टू एंड जांच की जाएगी।

राज्य दवा नियंत्रक कार्यालय की सारी टीम इस मामले में एसटीएफ पंजाब के साथ संयुक्त रूप से जांच में शामिल है। रविवार को सुबह के समय पंजाब की एसटीएफ ने दबिश दी थी। बायोजेनेटिक्स ड्रग उद्योग में अभी जांच चल रही है। जांच में सारा रिकार्ड जांचा जा रहा है। ऐसी जानकारी मिली है कि कुछ ही समय में 20 करोड़ एल्पाजोलम दवा का उत्पादन हुआ है।