शिक्षा का जीवन में बहुत महत्व है लेकिन कई बार इंसान का इस पर बस नहीं चलता. बार बार कोशिश करने के बावजूद छात्र पास नहीं हो पाते. फेल हो जाने से कई छात्र एकदम निराश हो जाते हैं. मुरली डिवी भी 12वीं कक्षा में दो बार फेल होने के बाद निराश हो गए थे. दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने वाले तानों ने उनकी बची खुची हिम्मत भी तोड़ दी थी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.
12वीं फेल मुरली ने खड़ी कर दी 1.3 लाख करोड़ की कंपनी
बचपन से ही मुश्किलें झेलते हुए बड़े होने वाले मुरली डीवी ने खुद को टूटने से बचा लिया. उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जो उनकी नाकामियों का जवाब हो, जो लोगों के तानों को वाह-वाही में बदल दे. उन्होंने जो ठाना था उसे पूरा किया और मेहनत के दमपर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी. वो मुरली डिवी जिन्हें 12वीं में दो बार फेल होने के बाद ताने सुनने को मिले थे उन्होंने 1.3 लाख करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी.
डिवीज लैब (Divis Labs) फार्मा सेक्टर का बड़ा नाम है. कंपनी का मार्केट कैप 1.3 लाख करोड़ रुपये का है. यही वो कंपनी है जिसे मुरली डिवी ने अपनी मेहनत से खड़ा किया. मुरली डीवी की संघर्ष और प्रेरणा से भरी कहानी बताती है कि मुरली डिवी ने जितनी मेहनत की उतनी ही बड़ी उन्हें सफलता मिली.
कौन हैं Murali Divi?
मुरली डीवी का जन्म आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ. यहीं उनका बचपन बीता. उनके पिता साधारण से कर्मचारी थे. उन्हें जितना वेतन मिलता था उसमें 14 लोगों का परिवार चलाना बेहद मुश्किल था. अपने वेतन में वह बस किसी तरह परिवार को दो वक्त का खाना उपलब्ध करा पाने में ही सक्षम थे. एक समय ऐसा भी था जब मुरली को कभी-कभार एक वक्त का खाना ही मिल पाता था लेकिन आज उनकी मेहनत की वजह से सैकड़ों लोग उनके यहां नौकरी कर अपना परिवार पाल रहे हैं.
संघर्ष करते हुए बढ़े आगे
मुरली डीवी पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे. यही वजह थी कि कोशिश करने के बावजूद वह 12वीं में दो बार फेल हो गए. मुरली ने हार नहीं मानी और 1976 में अमेरिका चले गए. वह जेब में सिर्फ 500 रुपये लेकर अमेरिका पहुंचे थे. वहां उन्होंने फार्मासिस्ट की नौकरी की. पहली नौकरी में उन्हें सैलरी के तौर पर 250 रुपये मिले थे. मुरली डटे रहे और कुछ सालों में उन्होंने $65000 यानी करीब 54 लाख रुपये इकट्ठा कर लिए. फार्मा सेक्टर को करीब से समझने और अच्छी तरह से काम सीखने के बाद वो अपने देश लौट आए.
मेहनत से पाई सफलता
अपने जमा किये हुए पैसों से उन्होंने 1984 में फार्मा सेक्टर में कदम रखा. उन्होंने कल्लम अंजी रेड्डी के साथ मिलकर केमिनोर बनाया, जो कि साल 2000 में डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज के साथ मर्ज हो गया. 6 साल तक डॉ रेड्डीज के साथ काम करने के बाद मुरली डीवी ने डिवीज लेबोरेटरीज की शुरुआत की. 1995 में मुरली डिवी ने चौटुप्पल, तेलंगाना में अपनी पहली मैन्युफक्चरिंग यूनिट स्थापित की. उसके बाद उन्होंने काभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह एक के बाद एक प्लांट लगाने लगे. साल 2002 में कंपनी ने दूसरी यूनिट शुरू कर दी. मार्च 2022 में कंपनी ने 88 बिलियन का रेवेन्यू जेनरेट किया. आज कंपनी 1.3 लाख करोड़ रुपये की हो चुकी है.