प्रकृति जितनी दयालु है उतनी ही क्रूर भी. प्रकृति ने ही हमें जीवित रहने के तमाम जरूरी संसाधन दिए और यही प्रकृति जब छीनने पर आती है तो इंसान से सबकुछ छीन लेती है. मोरक्को की राजधानी मरकेश में शुक्रवार सुबह एक बार फिर से प्रकृति ने अपना प्रकोप दिखा दिया. यहां आए भयानक भूकंप ने कई गांवों का 60 दशक पुराना अस्तित्व खत्म कर दिया. इस भूकंप में हजारों लोग अपनी जां गंवा चुके हैं. जिधर नजर जाती है उधर सिर्फ तबाही का मंजर नजर आता है.
भूकंप ने कर दिया सबकुछ तबाह
भूकंप से तबाह हुए तमाम गांवों में एक छोटा सा गांव तिख्त भी शामिल है. भूकंप के तेज झटकों से यह गांव भी पूरी तरह से तबाह हो गया है. राहत और बचाव कार्य मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं. बचाव कार्य के दौरान कुछ ऐसा देखा गया जिसने इस भूकंप की तबाही के दुख को और ज्यादा बढ़ा दिया. इस दौरान रेस्क्यू टीम ने मलबे में दबी एक महिला के शव को बाहर निकाला और उनके लिए ये काम सबसे ज्यादा मुश्किल था.
इस भूकंप में चली गई मंगेतर की जान
दरअसल, मलबे से निकाली गई मृत महिला का मंगेतर उस समय वहीं मौजूद था. महिला के 25 वर्षीय मंगेतर उमर ऐत मबारेक जब मलबे के पास पहुंचा तो वो अपनी भावनाओं पर काबू न कर पाया. मलबे में दबी और हमेशा के लिए गहरी नींद में सो चुकी अपनी मंगेतर को देखते ही उसकी आंखों से आंसू छलक उठे. हर तरफ लोगों से घिरा हुआ उमर यह भयावह मंजर देखता रह गया. उमर ने बताया कि शुक्रवार देर रात वह अपनी मंगेतर से फोन पर बात कर रहा था. उसी दौरान ये भयावह भूकंप आया. फोन की लाइन डिसकनेक्ट होने से पहले उसने बर्तनों के जमीन पर गिरने की आवाज सुनी. वह समझ चुका था कि उसकी मंगेतर उसको छोड़कर जा चुकी है.
जल्द ही होने वाली थी शादी
उमर की मीना ऐत बिही से कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, उनका घर बसने से पहले ही इस भूकंप ने सबकुछ उजाड़ दिया. मीना को कंबल में लपेटकर अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान ले जाते समय उसके मंगेतर उमर ने न्यूज एजेंसी एएफपी के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि, “आप क्या चाहते हैं कि मैं क्या कहूं. मैं बुरी तरह से आहत हूं.” लोगों को मीना के ऊपर से मालवा हटाते हुए उसका फोन मिला था, जिसे उन्होंने उसके मंगेतर उमर को सौंप दिया.
हो गया पूरा गांव बर्बाद
एक एक आपदा ने मोरक्को को ऐसी सैकड़ों दर्द भरी दास्तानें दी हैं, ये ज़ख्म सालों तक नहीं भरने वाले. मोरक्को के इस तिख्त गांव में करीब 100 परिवार रहते थे, अब ये पूरा गांव तबाह हो चुका है. यहां पर भूकंप ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. इसी गांव के 33 वर्षीय मोहसिन अक्सुम का परिवार भी यहां छोटी सी बस्ती में रहता था. भूकंप में उनका परिवार भी उजड़ चुका है. तख्त गांव में इमारतों को पारपंपरिक तरीके से लकड़ी और पत्थर से बने मिश्रण से बनाया गया था, जो कि अब वीरान हो चुका है.
गांव के 23 वर्षीय छात्र अब्देल रहमान एडजाल ने भी भूकंप में अपने परिवार के ज्यादातर लोगों को खो दिया है. उसका कहना है कि जब लोगों ने गांव में अपना आशियाना बनाया होगा तो किसी ने भी इस भयावह मंजर की कल्पना भी नहीं की होगी. नीले आसमान के नीचे अपना आशियाना बनाते समय किसी के भी दिमाग में इन घरों को बनाने में इस्तेमाल करने वाले सामान की क्वालिटी का ख्याल नहीं आया होगा. अब्देल ने उस रात के मंजर की भयावहता का जिक्र करते हुए बताया कि, वह रात के खाने के बाद टहलने के लिए बाहर गया था. तभी उसने देखा कि भूकंप के तेज झटके लग रहे हैं. लोग जां बचाने की कोशिश में अपने घरों से बाहर निकलकर भाग रहे हैं.