Mishrilal Rajput: वो किसान जिसने लाल भिंडी, नीले आलू और काले चावल उगाकर किसानों को दिखाई नई राह

इंसान अपनी ज़िंदगी के लिए सोचता कुछ है और होता कुछ है. आज हम आपको जिस शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं उन्होंने ने भी कभी सोचा था कि वह एक डॉक्टर बनेंगे लेकिन उनकी किस्मत ने उन्हें एक ऐसा किसान बना दिया जो अन्य किसानों से एकदम अलग सोच रखता है. ये किसान अपनी फसलों के साथ प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं. ये कहानी है भोपाल के खजूरीकलां गांव के एक अनोखे किसान मिश्रीलाल राजपूत की:

खेती में नए-नए प्रयोगों के लिए मशहूर हैं मिश्रीलाल

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मिश्रीलाल फसलों पर किए जाने वाले अपने नए-नए प्रयोगों के लिए मशहूर हैं. सबसे ज़्यादा चर्चा इनके द्वारा उगाई जाने वाली लाल भिंडी की हो रही है. मिश्रीलाल ने जब अपनी किसानी की शुरुआत की तब से ही कुछ ना कुछ नया करते आ रहे हैं. द बेटर इंडिया से हुई बात में उन्होंने बताया कि वह फ़िलहाल थोड़ी सी जगह में ही लाल भिंडी उगा रहे हैं. इसके अलावा वो ऐसी अनोखी फसल के बीज तैयार कर रहे हैं जिससे कि दूसरे किसान भी इस फसल को उगा सकें.

मिश्रीलाल का मनना है कि यह लाल भिंडी आम तौर पर मिलने वाली भिंडी से अधिक सेहतमंद होने के साथ साथ उससे ज़्यादा मूल्य पर भी बिकती है. जिससे उगाने वाले किसान, बेचने वाले सब्जी विक्रेताओं और खरीदने वालों को फायदा होगा. मिश्रीलाल का जन्म भले ही एक किसान परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें खेती करना कभी से पसंद नहीं था. बायोलॉजी में 12th की पढ़ाई पूरी करने के बाद मिश्रीलाल ने सोचा था कि वह मेडिकल की पढ़ाई करेंगे और डॉक्टर बनेंगे.

लेकिन वो कहां जानते थे कि किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच कर रखा है. कुछ निजी कारणों के चलते वह आगे ना पढ़ सके. अंत में जिस काम से वह बच रहे थे उन्हें वही करना पड़ा और वह एक किसान बन गए. ये साल 1989 था जब मिश्रीलाल ने खेती करने का मन बनाया लेकिन उन दिनों खेती के लिए ज़्यादा सुविधाएं नहीं थीं. ना फसलों को सही से पानी मिल पाता था ना ही खेतों में उगाने के लिए ज़्यादा फसलों के विकल्प थे. ऐसे में मिश्रीलाल ने कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क करके नए बीजों के बारे में जानना शुरू किया.

नीले आलू और काले चावल उगाकर दिखाई नई राह

वो साल 1990 था, जब मिश्रीलाल ने गेंहूं और टमाटर पर अपने प्रयोग किए. उन्होंने आधे एकड़ में गेहूं की WH 147 वेरायटी और  हाइब्रिड टमाटर उगाए. इस टमाटर के बीज आम टमाटर के बीजों से ज़्यादा महंगे थे लेकिन ये टमाटर देसी टमाटर से ज्यादा दाम में भी बिके. मिश्रीलाल के इस प्रयोग की ये सफलता रही कि उनकी देखादेखी दूसरे किसानों ने भी इन फसलों को उगाना शुरू किया. मिश्रीलाल ने केवल आम फसलों पर ही प्रयोग नहीं किए बल्कि इसके साथ ही उन्होंने 1998 में औषधीय खेती करने की शुरुआत की. उनके द्वारा किया गया ये प्रयास राज्य भर में पहला प्रयास था.

उन्होंने मेंथा, सफेद मूसली, लेमन ग्रास जैसी फसलें उगाईं. मिश्रीलाल कभी भी एक तरह की खेती पर आश्रित नहीं रहे वो निरंतर प्रयोग करते रहे. ऐसे प्रयोगों में उनके द्वारा उगाई गयी ‘काला नमक’ चावल की खेती भी चर्चा में रही. लाल भिंडी की तरह ही मिश्रीलाल के नीले आलू ने भी खूब चर्चा बटोरी. उन्होंने पिछले साल ही इसकी खेती की थी. ये आलू सेहत के लिए तो अच्छे थे ही इसके साथ ही इनकी कीमत भी सामान्य आलू से ज़्यादा थी.

मिश्रीलाल का कहना है की उनके द्वारा उगाए जाने वाली लाल भिंडी की मांग अपने देश से ज़्यादा विदेशों में है. उन्होंने इस भिंडी के बीज भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान बनारस से लिए और इसे  40 डेसिमल जमीन में बोया था.

प्रयोगों के लिए सम्मानित किए जा चुके हैं मिश्रीलाल

मिश्रीलाल राजपूत को उनके खेती में किए गये सफल प्रयोगों के लिए 2003 में ‘मध्य प्रदेश कृषि भूषण’ पुरस्कार भी मिल चुका है. अपनी इन फसलों में अच्छा मुनाफा देख कर मिश्रीलाल अब अपने पुश्तैनी खेतों के साथ दूसरों की जमीनें किराए पर लेकर भी खेती करते हैं. वह साल भर में 20 से 22 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. मिश्रीलाल ने पिछले साल केवल फूलगोभी की खेती से साढ़े चार लाख का मुनाफा कमाया था.