मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव न होने से मंडी नगर निगम की नाव मझधार में अटक गई है। बीती 12 अक्तूबर को नगर निगम मंडी के पहले मेयर और डिप्टी मेयर का अढ़ाई वर्षों का कार्यकाल पूरा हो गया था। नियमों के तहत यहां फिर से नए मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होना है। एक महीने से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी यह चुनाव नहीं हो पाया है। अभी तक यह दोनों ही पद खाली चल रहे हैं और इनके बीना न तो कोई बैठक हो पा रही है और न ही विकास से संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय हो पा रहे हैं।
भाजपा पार्षद वीरेंद्र भट्ट ने सरकार व प्रशासन से मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों को जल्द से जल्द करवाने की मांग उठाई है। इनका कहना है कि दो महत्वपूर्ण पदों के खाली रहने से विकास कार्यों पर विपरित प्रभावित पड़ रहा है। सितंबर महीने के बाद कोई भी बैठक नहीं हो पाई है।
वहीं, कांग्रेसी पार्षदों ने स्पष्ट कह दिया है कि चुनाव करवाना प्रदेश सरकार का विशेषाधिकार है। कांग्रेस पार्षद अल्कनंदा हांडा ने कहा कि सरकार जब चाहेगी चुनाव तभी होंगे। विकास कार्य प्रभावित नहीं हो रहे हैं। नियमों के तहत ऐसी परिस्थिति में यदि कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो तो सभी पार्षद बैठक बुला सकते हैं। सबसे वरिष्ठ पार्षद को मेयर का दायित्व देकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
वहीं, जब इस बारे में नगर निगम मंडी के कमिश्नर एचएस राणा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डीसी ने चुनावों के संदर्भ में सरकार से कुछ विषयों पर क्वालिफिकेशन मांगी है, जिनमें से कुछ पर जवाब आ गया है और कुछ पर आना अभी बाकी है। सारी स्थिति स्पष्ट होते ही नए मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करवा दिया जाएगा। विकास कार्य किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हो रहे हैं और यह जारी हैं।
बता दें कि 2021 में मंडी नगर परिषद से नगर निगम बनी थी। पहली बार हुए चुनावों में 15 में से 11 सीटों पर यहां भाजपा के पार्षद जीते हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ 4 पार्षद हैं। यहां स्पष्ट बहुमत भाजपा के पास है, लेकिन अगला मेयर कब तक चुना जाएगा, इसका विशेषाधिकार सरकार के पास है।