फोरलेन निर्माण के कारण बालीचौकी उपमंडल के तहत आने वाला थलौट गांव वीरान हो गया है। गांव के 35 घरों को पूरी तरह से खाली कर दिया है और इनमें रहने वाले न चाहते हुए भी मजबूरी में अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर किराए के कमरों में रहने के लिए चले गए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि फोरलेन की गलत कटिंग के कारण उनके गांव के सभी घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और घर रहने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं हैं। घरों की हालत यह हो चुकी है कि कभी भी पूरा गांव जमींदोज हो सकता है। ऐसे में थलौट गांव के प्रभावितों ने यहां से पलायन करके थलौट बाजार और इसके आस-पास किराए पर कमरे लेकर वहां रहना शुरू कर दिया है।
प्रभावित चमारी देवी ने बताया कि उनका पूरा परिवार घर से बेघर हो गया है। खाना बनाने के लिए भी जगह नहीं बची है। अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ रहा है, क्योंकि खतरे के कारण यहां पर रहना संभव नहीं है। सरकार से हम पैसा नहीं मांग रहे, बस जमीन दे दो और उसपर घर बनाकर दे दो।
प्रभावित देवी सिंह, बलदेव ठाकुर और प्रेम सिंह ठाकुर ने बताया कि उनके गांव पर यह विपदा फोरलेन निर्माण के लिए हुई गलत कटिंग का नतीजा है। करीब डेढ़ वर्ष पहले ही उनके पूरे गांव और घरों में दरारें आना शुरू हो गई थी। उस वक्त प्रशासन और एनएचएआई सहित अन्य लोगों ने मौके पर आकर बड़ी-बड़ी बातें की लेकिन बाद में इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया। अब नतीजा यह निकला कि पूरा गांव ढहने की कगार पर पहुंच चुका है। इस बार जो विपदा आई है उसमें तो प्रशासन भी हाल पूछने नहीं आया। इन्होंने एनएचएआई और सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
वहीं, जब इस बारे में एसडीएम बालीचौकी मोहन लाल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की समस्या का एनएचएआई के माध्यम से समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है। गांव में खुद जाकर लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था को जांचा है। इस संदर्भ में किसी को कोई शिकायत नहीं है। एनएचएआई के साथ जिला प्रशासन का पत्राचार जारी है और जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।