प्राकृतिक खेती विधि से उगाए अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने से चहके मंडी के किसान

Mandi farmers happy after getting minimum support price on grains grown through natural farming method

 

प्राकृतिक खेती में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की पर समर्थन मूल्य घोषित होने का लाभ प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला के किसानों को भी मिला है। इससे उनकी आय में लगभग डेढ़ गुणा तक बढ़ोतरी सुनिश्चित हुई है।

वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा 680 करोड़ रुपए की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के अंतर्गत राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना इस वर्ष के बजट में घोषित की गई है। प्रथम चरण में इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को जहर मुक्त खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस तरह करीब 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

इस योजना से जुड़े किसान गेहूं व मक्की में रसायनिक खाद के बजाय गोबर का इस्तेमाल करेंगे। इन परिवारों का अधिकतम 20 क्विंटल तक अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किया जाएगा। बेरोजगार युवाओं को प्राकृतिक खेती के माध्यम से स्वरोजगार व कृषि से जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की 30 रुपए प्रति किलो तथा गेहूं 40 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार द्वारा घोषित यह न्यूनतम समर्थन मूल्य पूरे देश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के इस दूरदर्शी निर्णय से आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को और गति मिलेगी।

मक्की फसल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद आरम्भ भी कर दी गई है। मंडी के समीप बीर गांव के बलवीर सिंह लगभग छह सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार उनकी अच्छी पैदावार हुई है। प्रदेश सरकार द्वारा खरीद केंद्र खोलने से उन्हें मक्की की बिक्री में आसानी हुई और दाम भी अच्छे मिले। उन्होंने लगभग तीन क्विंटल मक्की 30 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेची। मक्की के लिए समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए बलवीर सिंह ने प्रदेश सरकार और विशेषतौर पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया है।

गोहर क्षेत्र के कटवांडी गांव की भूपेंद्रा बताती हैं कि प्राकृतिक खेती से उनकी फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। पिछली बार उन्हें मक्की के कम दाम मिले, जबकि इस बार प्रदेश सरकार ने 30 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मक्की की खरीद की है। इससे उन्हें फसल के अच्छे दाम प्राप्त हुए हैं।

कटवांडी गांव की ही नेहा कुमारी वर्ष 2018 से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इसमें कृषि विभाग का सहयोग उन्हें निरंतर मिलता रहा है। इस बार प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की के लिए खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने पहले चरण में दो क्विंटल मक्की इन केंद्रों के माध्यम से बेची है। इतनी ही फसल बिक्री के लिए और उपलब्ध है। मक्की के 30 रुपए प्रति किलोग्राम दाम मिलने से किसान परिवार उत्साहित हैं और प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया है।

आत्मा परियोजना मंडी के परियोजना निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि मंडी जिला में प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए स्थापित चार में से तीन खरीद केंद्रों सुंदरनगर, मंडी व चैलचौक के माध्यम से पहले चरण में लगभग 142 क्विंटल मक्की की खरीद की जा चुकी है। दूसरे चरण में 18 नवंबर से आरम्भ होगा, जिसमें इन तीनों केंद्रों सहित चुराग में भी खरीद केंद्र के माध्यम से मक्की प्रापण का कार्य शुरू किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के सहयोग से यह खरीद की जा रही है। दूसरे चरण में 500 क्विंटल से अधिक मक्की खरीद का लक्ष्य रखा गया है।

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