छोटी काशी में शुक्रवार को पहली बार माण्डव्य महोत्सव नगर निम मंडी के सौजन्य से मनाया जा रहा है। यह माण्डव्य ऋषि ही थे, जिन्होंने ऐसी मर्यादा स्थापित की, जिसमें 14 वर्ष आयु वर्ग तक के बच्चों को अपने किए आचरण के कारण दंड से अभय मिल गया। ऐसा मानना है कि मंडी शब्द माण्डव्य का ही अप्रभंश है। ब्यास नदी के बीचों बीच स्थित कोलसर चट्टान से यह धारणा जुड़ी है कि यही वह पवित्र स्थान है, जहां माण्डव्य ऋषि ने पौराणिक काल में तपस्या की थी।इसी पावन स्थल पर माण्डव्य महोत्सव मनाया जा रहा है। हिंदुओं के साथ ही यह पवित्र स्थान सिख मतावलंबियों की आस्था में भी पिरोया हुआ है। कोलसर चटूटान का इतिहास दशम पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ भी जुड़ा हुआ है। 17वीं शताब्दी में दशम गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने इस स्थान पर जप-तप-साधना की और मंडी और मंडी नगर को यह कहते हुए आशीर्वचन दिया कि… जैसी बची है, हांडी, वैसे बचेगी मंडी, जो मंडी को लुटेंगे, आसमानी गोले छुटेंगे। मेयर वीरेंद्र भट्ट ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत बाबा भूतनाथ और राज माधव राय मंदिर में पूजा अर्चना से हुई इसके उपरांत शहर में भव्य शोभायात्रा राजमाधव राय की रहनुमाई में निकाली गई उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार राजमाधव राय शिवरात्रि और होली महोत्सव के बाद शोभायात्रा में निकले हैं।