इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों का गढ़ बन चुका है राजस्थान का कोटा. देशभर के छात्र यहां तैयारी करने आते हैं. बीते कुछ सालों में कंपीटीशन काफ़ी बढ़ गया है, सीट्स कम है और रेस में अनगिनत छात्र भाग रहे हैं. पढ़ाई और अच्छा परफ़ॉर्म करने का स्ट्रेस इतना ज़्यादा है कि कुछ छात्र आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं.
कोटा में छात्र सूसाइड
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस साल कम से कम 23 छात्रों ने अपनी जान ले ली. 27 अगस्त को ही 2 सूसाइड केस सामने आए हैं. ये पूरे देश के लिए चिंता का विषय है कि छात्रों पर इतना दबाव क्यों बढ़ाया जा रहा है? ऐसा क्या हुआ कि एक के बाद छात्र खुदकुशी कर रहे हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्रों पर क्या बीत रही है ये एक मंदिर की दीवार को पढ़ने से ही समझ आ जाएगा.
मंदिर पर लिखी मन की बात
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आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक कोटा के तलवंडी इलाके में एक ऐसा मंदिर हैं जहां छात्र अपना दर्द बयां कर रहे हैं. यहां के राधा कृष्ण मंदिर में NEET के छात्र शाम को 5 बजे आते हैं और मंदिर की दीवार पर अपने मन की बातें लिखते हैं. मंदिर के हॉल के पास की सफ़ेद दीवार ‘छात्रों की आपबीती’ है. ये गवाह है कि उनके मन में क्या चल रहा है, उन्हें कौन सी बात परेशान कर रही है. छात्रों को शायद लगता है कि उनके लिए आखिरी सहारा भगवान ही हैं, तभी उनके पास आकर सारी बातें लिख जाते हैं.
दिल चीर देगी स्टूडेंट्स की बातें
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हंसने-खेलने, दुनिया को समझने और जानने की उम्र में स्टूडेंट्स मंदिर की दीवार पर जो लिखते हैं वो आत्मा को झकझोर देगी. एक छात्र ने दीवार पर लिखा, ‘मेरे माता-पिता की रक्ष करना प्रभु और मेरी एक छोटी सी मनोकामना को पूरा करना. मेरी वजह से कोई दुखी न रहे.’
कुंजन नामक छात्र ने अपने नाम के साथ दीवार पर लिखा, ‘प्लीज़ भगवान मुझ से ये नहीं हो सकता. इसे पॉसिबल कर दीजिए.’
क्या माता-पिता और शिक्षक छात्रों पर दबाव बना रहे हैं?
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ज़रा एक बार उस छात्र के मन को समझने की कोशिश करिए. एक ऐसा छात्र जिसे इस दुनिया में और कोई नहीं बस भगवान की दीवार ही नज़र आ रही हो. कुछ छात्रों ने मीडिया से बात-चीत में ये स्वीकारा कि कोटा में बढ़ रहे सूसाइड केसेज़ की वजह माता-पिता द्वारा बनाया जा रहा दबाव है.
छात्र एक दिन में 12-14 घंटे पढ़ाई करते हैं. इसके बावजूद स्कोर कम हो तो छात्रों को माता-पिता के लिए बुरा लगता है. माता-पिता भविष्य के लिए कितना खर्च कर रहे हैं, लेकिन हम मार्क्स नहीं ला पा रहे, छात्रों के दिमाग में ऐसे खयाल आते हैं.
छात्रों का ये भी कहना है कि शिक्षक भी कई बार कुछ ऐसा कह देते हैं जो दिल को लग जाती है. फलस्वरूप मन में नेगेटिव विचार आते हैं.
छात्रों ने हेल्पलाइन पर मरने की इच्छा ज़ाहिर की
कुछ महीनों पहले राजस्थान के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पुलिस (DGP) उमेश मिश्रा ने छात्रों की आत्महत्याएं रोकने के लिए स्टूडेंट सेल बनाया. एएसपी चंद्रशील ठाकुर इसके इंचार्ज हैं. एएसपी ठाकुर ने बताया कि रोज़ाना 150 कॉल्स आते हैं. तकरबीन 45 छात्रों ने मर जाने की इच्छा ज़ाहिर की है. इलाके के दौरे के दौरान भी पुलिस को ऐसी बातें पता चली.
कोटा पुलिस के मुताबिक बीते सालों में सूसाइड के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है. 2015 में 17 छात्रों की, 2016 में 16, 2017 में 7, 2018 में 20, 2019 में 8 छात्रों की जान चली गई. 2020 में 1 और 2021 में 0, इन दोनों सालों में सूसाइड रेट में गिरावट दर्ज की गई. छात्र लॉकडाउन की वजह से घर चले गए थे. 2022 में ये संख्या बढ़कर 15 हुई. 2023 में अब तक 25 छात्रों ने की मौत हो गई.
कई बार मुश्किल हालात और परिस्थितियों में मन में आत्महत्या जैसे ख़्याल आएं तो ख़ुद को अकेला न समझें. भारत सहित दुनिया भर में ऐसी कई हेल्पलाइन और संस्थाएं हैं जो लगातार इसी दिशा में काम कर रही हैं. आप इन टोल-फ़्री नंबर्स पर बेझिझक कॉल कर बात कर सकते हैं:
1. Aasra Foundation
022 2754 6669
2. The Samaritans Mumbai
+91 8422984528/ +91 8422984529 / +91 8422984530
3. Sanjivini Society For Mental Health
+911124311918