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लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है जम्मू कश्मीर (Jammu & Kashmir) की बेटी इंशा मुस्ताक (Insha Mustaq) ने, जिन्होंने पैलेट गन के लगने से अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी, बावजूद इसके हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन से जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (JKBOSE) के इंटरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे नंबर से पास होकर परिवार का नाम रोशन कर दिया. उनके बुलंद हौसले और कामयाबी की हर कोई सराहना कर रहा है.
हादसे में चली गई थी आंखों की रोशनी
साल 2016 में बुरहान वाणी के मारे जाने के बाद कश्मीर में भड़की हिंसा के दौरान दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले की रहने वाली एक 13 वर्षीय मासूम बच्ची इंशा मुस्ताक भी उसका शिकार बन गई थी. पैलेटगन के लगने से इंशा के आंखों की रोशनी चली गई. हालांकि, जब इसका पता तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को चला तो उन्होंने इंशा मुस्ताक के इलाज के लिए बेहतर चिकित्सालय का प्रबंध कराया.
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मगर, शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. डॉक्टर्स के प्रयासों के बावजूद इंशा की आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकी, हालांकि, इंशा ने भी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले के साथ पढ़ाई करती रहीं. अब वह अपनी मेहनत के दम पर जम्मू कश्मीर की बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में 74 प्रतिशत मार्क्स लाकर दूसरों के लिए मिसाल बन गई हैं. इंशा मुस्ताक ने 500 में से 370 नंबर प्राप्त किए हैं.
भविष्य में बनना चाहती हैं IAS ऑफिसर
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. इसके अलावा स्कूल टीचर्स को भी इसका क्रेडिट दिया है. बहरहाल, इंशा मुस्ताक के साथ हुए हादसे के बाद भी बोर्ड की परीक्षा में अच्छे नंबर से पास होकर दिखाना दूसरे छात्रों के लिए प्रेरणादायक है. जिन्होंने अपने जीवन में इतनी मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखी.
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ब्राइटर कश्मीर से बातचीत करते हुए इंशा मुस्ताक ने कहा, “मैं 2016 से कई चुनौतियों का सामना कर रही हूं, लेकिन मैं सफल जीवन जीने के लिए उन पर काबू पाने की कोशिश कर रही हूं.” अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, इंशा ने कहा कि वह स्नातक करना चाहती है और बाद में आईएएस की तैयारी करना चाहती है, क्योंकि उसका उद्देश्य आईएएस अधिकारी बनना है.