Karamchari: 16 हजार कर्मचारियों की पगार अटकी, कहा, मुफ्त बिजली देने की चुकानी पड़ रही कीमत
राज्य सरकार से नहीं हो पाया 280 करोड़ रुपए का भुगतान, अक्तूबर में जारी होनी थी तिमाही किस्त
विशेष संवाददाता-शिमला
मुफ्त बिजली के एवज में मिलने वाले भुगतान में देरी की वजह से बिजली बोर्ड में तनख्वाह फंस गई है। कर्मचारियों से अधिकारियों तक किसी को भी जनवरी महीने का भुगतान नहीं हुआ है। बिजली बोर्ड को राज्य सरकार से करीब 280 करोड़ रुपए की तिमाही किस्त अक्तूबर महीने में मिलनी थी, लेकिन इसके भुगतान में लगातार देरी की वजह से अब वेतन पर संकट आ गया है। बिजली बोर्ड में कर्मचारियों के भुगतान की फाइल वित्त विभाग में है और विभाग जब तक मंजूरी नहीं देगा बिजली बोर्ड में वेतन की अदायगी नहीं हो पाएगी। इससे पहले बिजली बोर्ड के कर्मचारी ओल्ड पेंशन को लेकर संघर्षरत थे, लेकिन दिसंबर में यह बड़ा मुद्दा अब उनके सामने वेतन अदायगी का भी बन गया है। प्रदेश भर में बिजली बोर्ड के करीब 16 हजार कर्मचारी हैं जबकि 29 हजार पेंशनधारक हैं।
इसके अलावा अधिकारी स्तर पर भी भुगतान न होने का असर देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि बिजली बोर्ड के माध्यम से 125 यूनिट तक बिजली की खपत करने वालों को मुफ्त बिजली दी जाती है। इसके एवज में बोर्ड मीटर रेंट भी नहीं लेता है। मुफ्त बिजली के तौर पर पड़ रहे आर्थिक बोझ का भुगतान राज्य सरकार बिजली बोर्ड को करती है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने वेतन का भुगतान न होने के लिए प्रबंधन की नीतियों को जिम्मेदार बताया है। साथ ही बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है। प्रबंधन वर्ग ने जल्द ही इस पूरे मामले को सुलझा लेने का आश्वासन कर्मचारियों को दिया है।
फंड जारी होते ही करेंगे भुगतान
बिजली बोर्ड के वित्त निदेशक अमित कुमार शर्मा का कहना है कि फंड जारी होते ही भुगतान कर दिया जाएगा। उन्होंने कर्मचारियों से धैर्य बनाए रखने का आह्वान किया है। अमित कुमार शर्मा ने कहा कि वित्त विभाग से फंड जारी होना है। वेतन को लेकर समस्या केवल कर्मचारियों को नहीं है, बल्कि अधिकारियों को भी भुगतान नहीं हुआ है। बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को इन हालात के सही होने का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही स्थिति को संभाल लिया जाएगा और भुगतान हो जाएगा।
नए साल पर बिना वेतन रहे कर्मचारी
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने बताया कि पहली बार बोर्ड कर्मचारी नए साल का जश्र नहीं मना पाए। बिजली बोर्ड कर्मचारियों को नियमित भुगतान करने में अब दिक्कत पेश आ रही है। बिजली बोर्ड प्रबंधन सही समय पर फैसला लेता तो ऐसे हालात ही न होते। उन्होंने बताया कि बिजली बोर्ड कर्मचारियों को न तो ओल्ड पेंशन का लाभ मिला है और अब न ही वेतन का भुगतान समय पर हो रहा है। बोर्ड कर्मचारी गलत नीतियों की वजह से नुकसान झेलने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही विवाद न सुलझा तो बड़ा आंदोलन छेडऩे को कर्मचारी मजबूर होंगे।
हितों को सुरक्षित करने का फैसला ले सरकार
शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मण कपटा और महामंत्री नेक राम ठाकुर ने वेतन और पेंशन पहली जनवरी को जारी न होने पर गहरी चिंता जताई है। बोर्ड प्रबंधन और हिमाचल प्रदेश सरकार से इसे गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। इसमें तकनीकी कर्मचारी संघ का मानना है कि जो बिजली सबसिडी की राशि हिमाचल प्रदेश सरकार से विद्युत बोर्ड को देय है उसका भुगतान सरकार की ओर से समय पर नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और पेंशनर्स को भुगतना पड़ रहा है। तकनीकी कर्मचारी संघ संचालन समिति की बैठक सात जनवरी को तय की है।
नए साल में कर्मियों के साथ मजाक
शिमला। विद्युत पेंशनर्ज फोरम के महासचिव चंद्र सिंह मंडयाल ने कहा है कि कर्मचारियों के साथ नए साल पर भद्दा मजाक करार दिया है। उन्होंने बोर्ड प्रबंधन और राज्य सरकार से आह्वान किया है कि उनकी देय राशि का तुरंत भुगतान किया जाए। बिजली बोर्ड को बने 53 साल में यह पहला अवसर है जब बोर्ड अपने कर्मचारियों तथा पेंशनर्ज को वेतन देने मे असमर्थ हो गया है जिसके लिए प्रबंधन की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में ऐसे भी अवसर आए थे जब बिजली बोर्ड ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को वेतन देने मे सहयोग दिया था किंतु स्थिति बिलकुल विपरीत है।