Jharkhand: राजमहल के बेलभद्री पहाड़ से निकल रहा लाल रक्त जैसा तरल पदार्थ, जानिए भूवैज्ञानिक क्यों हैं चिंतित

Rajmahal Hill: झारखंड में राजमहल पहाड़ी श्रृंखला हिमालय से भी पुरानी है। भूगर्भशास्त्रियों को इस पहाड़़ी श्रृंखला की प्राचीनता को लेकर कई पुख्ता प्रमाण भी मिले हैं। राजमहल के जंगल और पहाड़ियों में अब तक कई ऐसे अवशेष भी मिले हैं, जिससे इसके जुरासिल काल से भी पुराना होने की बात की जानकारी मिलती हैं। रहस्मय बना बेलभद्री पहाड़ का लाल पानी

साहेबगंजः झारखंड के साहेबगंज जिले में मिर्जाचौकी क्षेत्र अंतर्गत कीर्तनिया स्थित बेलभद्री पहाड़ चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बार बेलभद्री पहाड़ की चर्चा अवैध खनन को लेकर नहीं है, बल्की इस पहाड़ से निकलने वाला रक्त की तरह दिखने वाला लाल पानी है। दरअसल इन दिनों साहेबगंज जिले में भारी बारिश हुई है। इन्ही बारिश के बीच बेलभद्री पहाड़ से रक्त की तरह लाल पानी निकल रहा है। इस लाल पानी को देखने के लिए आसपास के हजारों की संख्या में लोग बेलभद्री पहाड़ पहुंच रहे है।

देवी-देवता का अंश या प्राकृतिक प्रकोप अथावा प्रकृति की सौगात!

बेलभद्री पहाड़ से लाल खून की तरह पानी निकलने की घटना को कुछ लोग देवी-देवता का अंश बता रहे हैं, तो कोई इसे प्राकृतिक प्रकोप की चेतावनी मान रहा हैं। वहीं कुछ लोग इसे प्रकृति की सौगात बता रहे हें।

भू वैज्ञानिकों ने बताया कि भूगर्भीय हलचल का परिणाम

पहाड़ से लाल पानी निकलने के संबंध में जब भूगर्भशास्त्री प्रो. डॉ. रंजीत सिंह बात की गई, तो उन्होंने पहाड़ से लाल पानी निकलने के कारणों की संभावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह भूगर्भीय हलचल का परिणाम है। उन्होंने बताया कि इलाके में मोरोम का भंडार है। अंग्रेजी का मोरोम शब्द का छोटानागपुरी पर्याय ‘ललगुटुवा’ है। यह लाल होता है। जो पानी को लाल करता है। उन्होंने कहा कि संभव है कि इस पानी में हैवी मिनरल्स हो या कुछ ऐसे मिनरल्स हो, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए इसे हाथ से न छुए और बच्चों को दूर रखें। उन्होंने कहा कि लैब में इस लाल पानी की जांच से ही सारी बातें स्पष्ट हो पाएगी। यह भी संभव है कि इससे अंडरग्राउंड वाटर दूषित हो सकता है। इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है।

राजमहल पहाड़ी जीवाश्म और बेशकीमती खनिज के लिए चर्चित

राजमहल पहाड़ी जीवाश्म के साथ बेशकीमती खनिज और रत्न के लिए चर्चित रहा हैं। यहां काला हीरा बेसाल्ट पत्थर भी है। राजमहल का पूरा इलाका भूवैज्ञानिक के लिए शोध और अनुसंधान का केंद्र रहा है। इलाके में कई तरह की भूवैज्ञानिक घटनाएं घटी हैं, जिसका प्रमाण आज भी पहाड़ी के गर्भ में छिपा है।