हौसले हों बुलंद तो उम्र केवल एक संख्या बन कर रह जाती है। यह साबित कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश की उन ऊर्जावान महिलाओं ने, जिन्होंने खेलो मास्टर्स राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर 7 गोल्ड, 65 सिल्वर और 4 कांस्य पदक अपने नाम किए और पूरे देश को चौंका दिया। दिल्ली में आयोजित इस प्रतियोगिता में 50 वर्ष से ऊपर की महिला खिलाड़ियों ने हॉकी, कबड्डी और एथलेटिक्स में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। खास बात यह रही कि कबड्डी की टीम पहली बार इस मंच पर उतरी, फिर भी शानदार जीत हासिल कर लौटी। अब उनकी नजरें ऊना में होने वाली अगली प्रतियोगिता पर टिकी हैं, जिसके लिए वे रोज़ाना कड़ी मेहनत कर रही हैं, गर्मी में पसीना बहा रही हैं और जीत की नई कहानी लिखने को तैयार हैं।इस मौके पर विजेता खिलाड़ियों शिला कौशल, सरिता ठाकुर, नीलम सामटा और मंजू मेहता ने कहा कि वर्षों पहले वे स्कूल स्तर पर खेलती थीं, तब जोश था, लेकिन अब प्रदेश के लिए खेलने का जज़्बा है।
उन्होंने कहा कि जब वे अपने बच्चों को घर छोड़ मैदान में उतर सकती हैं, तो प्रदेश की दूसरी महिलाएं भी यह कर सकती हैं। अगर हर मां अपने भीतर खेल के प्रति उत्साह जगाए, तो अगली पीढ़ी भी उनके पदचिन्हों पर चलेगी और नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहेगी।बाइट शिला कौशल, सरिता ठाकुर, नीलम सामटा और मंजू मेहतायह जीत केवल पदकों की नहीं, बल्कि उस सोच की है जो बताती है कि हौसलों की कोई उम्र नहीं होती। हिमाचल की इन बेटियों ने साबित कर दिया कि खेल केवल युवाओं का अधिकार नहीं, बल्कि हर उस इंसान का हक है, जिसके भीतर जीतने की लगन हो।
उम्र नहीं जज़्बा मायने रखता है — खेलो मास्टर्स में हिमाचल की महिलाओं का शानदार प्रदर्शन
