ISRO scientist Passes Away: चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के काउंटडाउन को आवाज देने वाली इसरो वैज्ञानिक वलारमथी का निधन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वैज्ञानिक वलारमती का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। वलारमती ने इसरो के कई सफल रॉकेट प्रक्षेपणों का मार्गदर्शन किया था। उन्होंने देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग काउंटडाउन को भी अपनी आवाज दी थी।

 
Valarmathi ISRO
चेन्नै: चंद्रयान-3 हो या इसरो का कोई भी सेटेलाइट लॉन्चिंग। जब पूरी दुनिया की निगाहें रॉकेट की तरफ रहती हैं तो कानों में एक ही आवाज आती है। यह आवाज होती है काउंटडाउन की। श्रीहरिकोटा में रॉकेट प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती 10,9,8,7… सुनाई देती है। फीमेल की यह काउंटडाउन वाली आवाज अब लोगों को सुनाई नहीं देगी। यह आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है। यह काउंटडाउन वाली आवाज चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के दौरान सुनाई दी थी। इसे आवाज देने वाली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वैज्ञानिक वलारमती का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। चंद्रयान-3 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने चंद्रमा की सतह को छुआ। इसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर थे। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इतना ही नहीं लैंडिंग ने पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला देश बना दिया है।

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इसरो ने जताया दुख

वलारमथी के निधन पर इसरो ने बताया कि रॉकेट लॉन्च काउंटडाउन के पीछे की प्रतिष्ठित महिला आवाज को श्रीहरिकोटा से भविष्य के मिशनों में नहीं सुना जाएगा। वलारमथी मैम के अप्रत्याशित निधन के साथ, आवाज अनंत काल के लिए फीकी पड़ गई है! वलारमती मैम का शनिवार शाम चेन्नई के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

सबकी प्रिय थीं वलारमथी

वलारमथी अपने सहयोगियों के बीच ‘मैम’ के नाम से भी जानी जाती थीं। कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं। आत्मविश्वास और अधिकार से भरी उनकी विशिष्ट आवाज ने इसरो के कई सफल रॉकेट प्रक्षेपणों का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चेन्नई में जन्मी और पली-बढ़ी, वलारमती को कम उम्र से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शौक था। उन्होंने इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की और एक युवा उम्र में ही इसरो में शामिल हुईं। इन वर्षों में, वह अपने सटीक काउंटडाउन और अपने काम के प्रति अटूट समर्पण के साथ संगठन के लिए एक अमूल्य संपत्ति बन गईं।