ISRO ने बुधवार, 23 अगस्त को इतिहास रच दिया. चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान -3 की सफ़लतापूर्वक लैंडिग के साथ ही भारत विश्व विजेता के रूप में उभरा. चंद्रयान -3 को चंद्रमा की सतह तक पहुंचाने में देशभर के वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स की अहम भूमिका रही. ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ के नेतृत्व में सैंकड़ों वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स ने दिन-रात मेहनत की और तब जाकर भारत चांद पर पहुंचा.
इन वैज्ञानिकों में छत्तीसगढ़ के भरत कुमार का भी नाम है. भरत कुमार के ISRO तक और फिर चंद्रयान 3 मिसन तक पहुंचने का सफ़र आसान नहीं था. आइए जानते हैं भरत कुमार की कहानी.
गरीबी में पले-बढ़े, फ़ीस भरने के पैसे नहीं थे
नवभारत टाइम्स के एक लेख के मुताबिक भरत कुमार भिलाई, छत्तीसगढ़ से हैं. उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता, कई बार स्कूल फ़ीस भरने के भी पैसे कम पड़ जाते थे. जब भरत कुमार 9वीं में पढ़ते थे तो उनके स्कूल ने उन्हें फ़ीस न जमा करने की वजह से TC देने की नौबत आ गई. बाद में स्कूल ने उनकी फ़ीस माफ़ कर दी. भरत के शिक्षकों ने भी उनका काफ़ी साथ दिया, किताबें-कॉपियां खरीदने में उनसे मदद मिल जाती थी.
इसके बाद भी भरत ने हिम्मत और धैर्य का साथ नहीं छोड़ा और कुछ लोगों की मदद से पढ़ाई जारी रखी. भरत में प्रतिभा की कमी नहीं थी और वो कुछ अलग करना चाहते थे, मेहनत का फल मिला और IIT- धनबाद में उन्हें प्रवेश मिल गया. रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत को पढ़ाई में मदद की.
पिता गार्ड हैं, मां इडली बेचती हैं
भिलाई के चरौदा के भरत कुमार के पिता, बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करती हैं. घर चलाने के लिए भरत की मां भी काम करती हैं, वो इडली और चाय का ठेला लगाती हैं. इन दोनों की कमाई से ही घर चलता था और भरत की पढ़ाई भी.
भरत पढ़ाई के साथ ही मां-बाप का हाथ भी बंटाते थे. उन्होंने मां की इडली और चाय की टपरी पर बरतन भी धोए थे. इसके अलावा वो दुकान पर आने वाले ग्राहकों को चाय भी परोसते थे.
भरत के पिता ने बताया कि उनके बेटे को पढ़ाई में इतनी दिलचस्पी थी कि वो देर रात तक पढ़ता रहता. डांट लगाने के बाद वो पढ़ाई बंद करके सोने जाता था.
IIT में गोल्ड मेडल हासिल किया
भरत ने IIT में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. IIT धनबाद में उन्होंने 98% अंक हासिल किए. उनको प्रोत्साहित करने के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. जिस छात्र के पास फ़ीस के पैसे नहीं थे उसे ज़रा सी मदद मिल गई और वो ISRO तक पहुंच गया. IIT धनबाद में पढ़ाई के दौरान ही भरत का ISRO में प्लेसमेंट हो गया.
ISRO में मैकेनिकल इंजीनियर
भरत ISRO के ऐतिहासिक चंद्रयान 3 मिशन का भी हिस्सा बने. दैनिक जागरण के एक लेख के अनुसार, भारत फिल्हाल ISRO में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर हैं.
भरत की कहानी इस बात का सुबुत है कि हौंसला हो तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं.