उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति व Ph.D डिग्री देने में गड़बड़ियों की अब होगी जांच

उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री देने में गड़बड़ियों की जांच नियमित रूप से करेगी। यूजीसी ने इसके लिए स्थाई समिति के गठन का फैसला किया है। अब देश में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में कोई भी अनियमितता मिलने पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी।

यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक, यूजीसी द्वारा गठित स्थाई समिति कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों को चिन्हित किया है। इन शिक्षण संस्थानों से यूजीसी पीएचडी अवार्ड करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी लेगी। यूजीसी इन विश्वविद्यालयों के द्वारा हाल के वर्षों में दी गई पीएचडी डिग्री के दस्तावेज की जांच करेगी। इस जांच में देखा जाएगा कि शिक्षण संस्थानों के द्वारा यूजीसी के तय मानकों का पालन किया गया था या नहीं।

आ रही थी लगातार शिकायत…

यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार अब 4 वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने वाले अथवा हुआ तीन वर्षीय ग्रेजुएशन के साथ 2 वर्षीय मास्टर्स डिग्री करने वाले उम्मीदवार पीएचडी एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि चार वर्षीय बैचलर्स डिग्री में न्यूनतम 75 फीसदी अंक होने चाहिए एवं 2 वर्षीय मास्टर्स में न्यूनतम 55 फीसदी अंक प्राप्त होने चाहिए।

न्यूनतम अंकों में SC, ST, OBC एवं EWS वर्ग के उम्मीदवारों को 5 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। इसके अलावा न्यूनतम 55 फीसदी अंकों के साथ एमफिल पूरा करना होगा।