शहीद के सम्मान का अपमान : 4 घंटे एंबुलेंस में पड़ा रहा पार्थिव शरीर, सेना-प्रशासन की शर्मनाक लापरवाही!”
कंडाघाट उपमंडल की तुंदल पंचायत के बत्तीस वर्षीय सैनिक दिनेश डोगरा ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी, लेकिन उनकी शहादत के बाद जो हुआ, वह सेना और प्रशासन के माथे पर कलंक है। शहीद का पार्थिव शरीर दिल्ली से सुबह 6 बजे कंडाघाट पहुंचा, मगर चार घंटे तक एंबुलेंस में ही पडा रहा। उनके परिजन सुबह से पहले ही वहां पहुंचकर बेसब्री से इंतजार करते रहे, लेकिन प्रशासन की अव्यवस्था और सेना की ढिलाई ने उनके दर्द को और गहरा कर दिया। सोलन यूनिट को शहादत की खबर एक दिन पहले मिल चुकी थी, फिर भी सैनिकों की टुकड़ी को कंडाघाट पहुंचने में नौ बज कर पैंतालीस मिनट तक का वक्त लगा। चार घंटे की इस शर्मनाक देरी के बाद ही शहीद को उनके गांव ले जाया गया, जहां आज अंतिम संस्कार होगा।
शहीद दिनेश असम में तैनात थे। पीलिया और लिवर इन्फेक्शन से दो महीने तक जूझने के बाद बाइस फरवरी की रात दिल्ली के आर आर हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। लेकिन उनके सम्मान में सेना और प्रशासन ने क्या किया? अधिकारी देरी से पहुंचे, टुकडी को आने में घंटों लगे। क्या यही है शहीदों का सम्मान? यह घटना चीख-चीखकर मांग करती है कि सेना और प्रशासन जागें, वरना शहीदों की कुर्बानी का अपमान यूं ही होता रहेगा! इसको लेकर शहीद के पिता रामस्वरूप ने भी रोष जताया और कहा कि प्रशासन और सेना के अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी समय पर कोई नहीं पहुंचा जो खेद का विषय है और बेहद लापरवाही है।