सिरमौर वेशभूषा एक अलग पहचान रखती है। इस प्राचीन एवं पारंपरिक वेशभूषा में चार चांद लगाने के लिए कढ़ाई का काम किया जा रहा है। लोक नृत्य में प्रयोग किए जाने वाले पारंपरिक परिधानों को सुंदर व आकर्षक बनाने का ये कार्य पिछले काफी समय से चल रहा है। हाब्बी मानसिंह कला केंद्र बिना किसी वित्तीय सहायता के कलाकारों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।पिछले दो महीनों से परिधानों पर कढ़ाई करने का कार्य प्रगति पर हैं। किन्नौर, लाहौल स्पीति, कुल्लू, चंबा आदि अन्य जिलों के परिधानों में काफी बदलाव आया है। लेकिन सिरमौर जिला में परिधानों को निखारने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया।
सिरमौर के परिधानों में डांगरा, ठोडा नृत्य, रिहाल्टी, देव पालकी, देव शिरगुल व देव परशुराम की मंदिर स्थलियों के चित्र आदि की आकृतियां को पारंपरिक तरीके से हाथ से कढ़ाई करके उकेरा जा रहा है।