मधुमक्खी उत्पादों से आय बढ़ाने पर दी जानकारी

Information given on increasing income from bee products

मधुमक्खी पालन उद्योग परिसंघ (सी॰ए॰आई॰) ने हाल ही में डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में एक सेमिनार आयोजित किया जिसमें भारत में मधुमक्खी पालन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित रहा। यह आयोजन विभिन्न राज्यों के प्रमुख हितधारकों, विशेषज्ञों और उद्योग जगत के लीडरस को एक साथ लाया, जिसका उद्देश्य उद्योग की चुनौतियों का समाधान करना, विकास के अवसरों का पता लगाना और टिकाऊ मधुमक्खी पालन प्रथाओं को बढ़ावा देना था। सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों और मधुमक्खी पालन व्यवसायों के प्रतिनिधियों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस॰के॰ चौहान ने सेमिनार का उद्घाटन किया और आजीविका और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विविधीकरण के साधन के रूप में मधुमक्खी पालन की प्रशंसा की और किसानों को विभिन्न मधुमक्खी उत्पादों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने मधुमक्खी पालकों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सी.ए.आई. की भी सराहना की।

पूर्व प्रोफेसर और मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डॉ. हरीश कुमार शर्मा ने मधुमक्खी पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, परिचालन और सरकारी समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने परागण सेवाओं और रोजगार सृजन में मधुमक्खी पालन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। सी.ए.आई. के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने संगठन के लक्ष्य एवं संचालन पर चर्चा की। उन्होंने साझा किया कि उनकी कंपनी वर्तमान में हाइव स्रोतों से लगभग 50 मूल्य वर्धित उत्पादों का उत्पादन करती है और विश्वास व्यक्त किया कि सदस्यों के समर्थन से उत्पाद श्रृंखला का विस्तार किया जा सकता है। शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में उत्पादित उच्च गुणवत्ता वाले शहद के लिए स्थानीय मधुमक्खी पालकों को विपणन सहायता का भी आश्वाशन दिया और इसके मूल्य और मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के शहद को जियो-टैगिंग करने की वकालत की।

सेमिनार में मधुमक्खी रोग, मधुमक्खी प्रबंधन, छत्ता उत्पाद और विपणन चुनौतियों सहित विभिन्न विषयों पर दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनका नेतृत्व विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों, राज्य बागवानी विभाग और सी.ए.आई. अधिकारियों ने किया।

एक प्रगतिशील मधुमक्खी पालक और सीएआई के उपाध्यक्ष, सुभाष कंबोज ने एक सफल मधुमक्खी पालन उद्यमी के रूप में अपनी यात्रा साझा की, जिसका उल्लेख भारत के प्रधान मंत्री द्वारा दो बार मन की बात कार्यक्रम में भी किया गया है। मधुमक्खी पालन उद्योग परिसंघ मधुमक्खी पालन क्षेत्र के विकास का समर्थन करने के लिए समर्पित है, और यह सेमिनार उस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय परिसर में बीफ़्लोरा का वृक्षारोपण किया गया, और प्रतिभागियों को उनके मधुमक्खी पालन प्रयासों का समर्थन करने के लिए बीफ़्लोरा पौधे बांटे गए।