Indian Railway: जब भी ट्रेन दुर्घटना होती है, रेल पटरी के साथ ओवर हेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) लाइन को सर्वाधिक नुकसान होता है। इससे ट्रेनों का आवागमन ठप हो जाता है। रेलवे सबसे पहले इन्हें ही ठीक कर संचालन शुरू करता है लेकिन ओएचई लाइन टूटने या खराबी पर उसे ठीक करने के लिए मौके पर डीजल इलेक्ट्रिक टावर वैगन को पहुंचने में अभी समय लग जाता है।

इसी समस्या को दूर करने के लिए रेलवे बड़ा बदलाव कर रहा है। चिह्नित छोटे स्टेशनों पर भी टावर वैगन खड़े होंगे। ताकि कम समय में राहत कार्य शुरू हो सके। शुरुआत प्रयागराज मंडल से की जा रही है।

मेजा रोड स्टेशन, सिराथू व चुनार रेलवे स्टेशन पर आठ व्हीलर टावर वैगन को खड़ा करने के लिए शेड, रख-रखाव की सुविधा होगी। ये वैगन 24 घंटे किसी भी दिशा में 100 किमी प्रति घंटा की गति से भेजे जा सकेंगे। सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि आठ व्हीलर टावर वैगन के लिए शेड का विस्तार और निर्माण कार्य इसी माह शुरू होगा।

क्या होता है टावर वैगन

ट्रैक को सुरक्षित सुनिश्चित करने, ओएचई के रखरखाव व निरीक्षण व वांछित स्थान पर तेजी से पहुंचने में टावर वैगन बहुत अहम होते हैं। इसमें आठ व्हीलर डीजल इलेक्ट्रिक टावर कार (डीईटीसी) चार एक्सल दोनों दिशाओं में चल सकते हैं। इसमें दोनों सिरों पर ड्राइविंग केबिन होता है।

यह ओएचई पैरामीटर के मेजरमेंट, खराब उपकरणों को पकड़ने, क्षतिग्रस्त ओएचई ठीक करने, उपकरणों की पुनर्स्थापना करने, मास्ट लगाने, केटेनरी व कांटेक्ट में तार बिछाने के साथ चालू लाइन में भी निरीक्षण करने में सक्षम होते हैं।