हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के शिक्षा विभाग और आईआईटी गुवाहाटी के संयुक्त तत्वावधान में धर्मशाला में “बिग डाटा एनालिटिक्स” पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (Faculty Development Program) चल रहा है। इसका उद्घाटन शिक्षा स्कूल के अधिष्ठाता और विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज सक्सेना ने किया। इस दौरान उन्होंने बिग डाटा एनालिटिक्स पर अपने विचार साझा किए और इस क्षेत्र में हो रहे विकास पर विस्तार से चर्चा की । कार्यक्रम के आयोजक डॉ. ललित मोहन शर्मा और सह-आयोजक डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
डॉ. ललित शर्मा ने कार्यशाला में होने वाली विभिन्न गतिविधियों और आगामी तकनीकी अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बिग डाटा एनालिटिक्स में आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण रोजगार अवसर और अनुसंधान के नए रास्ते खुल सकते हैं, जिनसे शिक्षकों और शोधार्थियों को लाभ मिलेगा। वहीं कार्यक्रम में IIT गुवाहाटी से आए विशेषज्ञ, अनितान्शु राजन ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
सत्र में, शिक्षकों और शोधार्थियों को Tableau Desktop के विभिन्न प्रकार के उपयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान प्रत्येक प्रतिभागी को व्यक्तिगत रूप से Tableau Desktop सॉफ़्टवेयर के उपयोग के तरीके समझाए गए, ताकि वे इसका बेहतर तरीके से उपयोग कर सकें। वहीं दूसरे सत्र में Power BI Desktop के बारे में जानकारी प्रदान की गई। विशेषज्ञों ने इस सॉफ़्टवेयर के उपयोग को विस्तार से समझाया और बताया कि किस प्रकार इसका उपयोग डेटा विश्लेषण और रिपोर्टिंग के कार्यों को सरल और प्रभावी बनाता है। सभी प्रतिभागियों को Power BI Desktop के विशेष पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए सिखाया गया, ताकि वे इसे अपनी कार्यशाला और अनुसंधान में आसानी से उपयोग कर सकें।
कार्यशाला में प्रौद्योगिकी, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और संबंधित क्षेत्रों में नवीनतम ज्ञान साझा किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को बिग डाटा एनालिटिक्स के सिद्धांतों और उनके वास्तविक जीवन उपयोग के बारे में जानकारियों से लैस करना है, जिससे वे अपने पाठ्यक्रम को और अधिक प्रभावी बना सकें। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में बिग डाटा के महत्व को समझना और इस तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना है, ताकि आने वाले समय में इस क्षेत्र में नई तकनीकी प्रगति हो सके और शोध कार्यों के नए अवसर उपलब्ध हो सकें।