प्लास्टिक की परेशानी से आज दुनिया निपटने की कोशिश कर रही है. यह सदी की किसी बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है. लिहाज़ा, प्लास्टिक को धीरे-धीरे जीवन से निकालने के कई प्रयास किये जा रहे हैं. इसी बीच आइआइटी रुड़की की एक छात्रा ने इको फ्रेंडली प्लास्टिक का फार्मूला बनाया है. इसकी मदद से प्लास्टिक महज चार माह में खुद नष्ट हो जाएगा. ख़ास बात है कि इससे पर्यावरण पर कोई नेगेटिव असर भी नहीं पड़ेगा. आमतौर पर प्लास्टिक को नष्ट होने पर सैकड़ों साल लग जाते हैं.
बीटेक सुकन्या दीक्षित ने आर्टिफीसियल प्लास्टिक का फार्मूला तैयार किया है. उन्होंने यह आइआइटी कानपुर के इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब की मदद से किया. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, इस फ़ॉर्मूला को तैयार करने की वजह निजी है. सुकन्या के मुताबिक़, 3 साल पहले उनकी मां को पेट का कैंसर हुआ. सुकन्या ने जब इसकी वजह खंगालनी शुरू की, तो हानिकारक प्लास्टिक इसकी मूल वजह के रूप में सामने आया.
जिसके बाद उन्होंने अपने फ्रेंड्स नमोल बंसल और ऋषभ गुप्ता के साथ आइआइटी कानपुर के सहयोग से चार माह में आर्टिफीसियल प्लास्टिक का निर्माण किया. सुकन्या की कंपनी फैबियो का दावा है कि यह मानव शरीर और पशुओं के लिए भी खतरनाक नहीं है.
इस प्लास्टिक को बनाने के लिए यह कई संस्थानों की मेस का बचा भोजन, फल-सब्जी के छिलके और कपंनियों के का इस्तेमाल किया गया है. इसे वर्तमान में, पैकेजिंग मैटीरियल के साथ बैग, शीट्स और कप-प्लेट्स बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है. भविष्य में इसे बतौर हार्ड प्लास्टिक भी इस्तेमाल करने पर काम किया जा रहा है.
बताते चलें, साल 2019 में सुकन्या दन स्कूल ऑफ़बिजनेस की ओर से आयोजित यूके टेक चैलेंज अवार्ड जीत चुकी हैं. जबकि बीते महीने नीदरलैंड की नामी संस्था फैशन फॉर गुड ने उनकी कंपनी फैबियो का चुनाव किया है.