आप अगर किसी घायल को अस्पताल तक पहुंचाते हैं तो पुलिस और चिकित्स्क आप से आप के बारे में पूछताछ नहीं कर सकते।इसका मतलब अब आप को उस घटना से दूर रखा जाएगा और न ही आप को उस घटना में आप को गवाह बनाया जा सकता है। इस बात की जानकारी हिमाचल प्रदेश सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम द्वारा आयोजित कार्यशाला में दी गई। इस कार्यशाला में टीआरएल कंपनी के ट्रेनर अश्वनी बग्गा द्वारा ने पुलिस और होमगार्ड को टिप्स दिए। उन्हें बताया गया कि वह दुर्घटना के समय में किस तरह से घायल नागरिकों का अमूल्य जीवन बचा सकते है। उन्हें कानूनों में हुए बदलाव की भी जानकारी दी गई। यह भी बताया गया कि वह लोगों का सहयोग इस मौके पर कैसे कर सकते है।
टीआरएल कंपनी के ट्रेनर अश्वनी बग्गा ने बताया कि आज उनके द्वारा लीड फर्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग में होमगार्ड कर्मियों को जागरूक किया जा रहाहै जिसमें उन्हें आवश्यक जानकारी दी गई है कि अगर कोई भी दुर्घटना में घायल व्यक्ति को लेकर अगर अस्पताल में आता है तो उस से पुलिस और चिकित्स्क दोनों कुछ भी पूछताछ नहीं कर सकते है। उन्होंने बताया कि क़ानून के डर से राह चलते लोग घायल को अस्पताल ले जाने से भी कतराते हैं। उनके डर को खत्म करने के लिए क़ानून में बदलाव किए गए है जिसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों और जनता में नहीं है। इस लिए उनके द्वारा यह कार्यशाला हिमाचल में लगाई जा रही है। जिसके तहत वह करीबन 20000 कर्मियों को जागरूक कर चुके है।