गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन (Kidney Stone)
ख़राब लाइफ स्टाइल और खान पान किडनी में स्टोन के खतरे को बढ़ा रहा है। हाल ही में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है की युवाओं में किडनी स्टोन के मामलों में 40% की वृद्धि देखि जा रही है। जब किडनी में एक ठोस और कठोर क्रिस्टलीय खनिज जमा हो जाता है तो उसे किडनी स्टोन कहा जाता है। और यह तब बनता है जब पेशाब में कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड ज्यादा आने लगे तब ये खनिज क्रिस्टल में बदल जाता है और धीरे धीरे यह कठोर होते जाता है और बाद में यह स्टोन का रूप ले लेता है । किडनी की पथरी को रीनल कैलकुली या फिर नेफ्रोलिथियासिस भी कहा जाता है।
ये आकार में सरसों के दाने जितने हो सकते हैं या फिर क्रिकेट के गेंद जितने भी हो सकते हैं। कई बार तो एहसास भी नहीं होता की किडनी में स्टोन है क्यों की अधिकतर इससे कोई दर्द नहीं होता और न ही इसके कोई लक्षण दिखते हैं। अक्सर छोटे स्टोन अपने आप ही पेशाब के जरिये निकल सकते हैं।
पर बड़े आकार का जो स्टोन होता है वो किडनी में या मूत्रवाहिनी (किडनी से लेकर मूत्राशय तक की नली) में फंस सकती है। जिससे कई बार पेशाब बाहर नहीं निकल पाता है। जिसके कारण शरीर से अपशिष्ट को छानने की जो क्षमता होती है आपके किडनी की, वो प्रभावित हो सकती है। ऐसी स्थिति में अत्यधिक दर्द का भी सामना करना पड़ सकता है।
किडनी स्टोन के लक्षण
- आपकी पीठ के निचले हिस्से, पेट या बगल में दर्द होना । यह दर्द कभी कभी आपकी कमर से आपकी बगल तक फैल सकता है । यह दर्द हल्का भी हो सकता है या फिर या तेज भी हो सकता है।
- उल्टी होना या उलटी जैसा महसूस होना ।
- पेशाब करते समय दर्द होना ।
- बहुत अधिक पेशाब करने की इच्छा होना।
- बुखार या ठंड लगना।
- झागदार या बदबूदार पेशाब आना ।
- और खूनी पेशाब आना ।
गुर्दे की पथरी का क्या कारण है?
आपके पेशाब में कैल्शियम, सोडियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थों के कण बहुत ज़्यादा होते हैं और तरल पदार्थ बहुत कम होता है, तो ऐसे में ये पदार्थों के कण आपस में चिपकने लगते हैं, जिससे क्रिस्टल या स्टोन बन जाता है । किडनी में स्टोन तुरंत नहीं बनते बल्कि कई महीनों या सालों भी लग सकते हैं ।
पेशाब में कैल्शियम, सोडियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थों के कण ज्यादा होने का कारण
- कैल्शियम का बॉडी में ठीक से ऑब्जर्ब न होना: कैल्शियम का बॉडी में ठीक से ऑब्जर्ब न होने से यह यूरिन में जमा होकर किडनी स्टोन्स बनाती है।
- पानी कम पीना : जब हम पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं तब बॉडी का अपशिष्ट पदार्थ बहार नहीं आ पाता , यही अपशिष्ट पदार्थ किडनी में जम जाती है जो स्टोन बनाती है।
- ज्यादा प्रोटीन खाना : जरुरत से ज्यादा प्रोटीन खाने से भी स्टोन बन सकता है।
- ऑक्सालेट युक्त आहार: ज्यादा नमक खाना , एनिमल प्रोटीन का सेवन ज्यादा करना और ऑक्सालेट वाली चीजों का ज्यादा सेवन करना जैसे पालक, नट्स, चुकन्दर आदि। तो इससे भी पथरी बन सकता है।
- गुर्दे का संक्रमण: जब किडनी में कोई संक्रमण या इंफेक्शन हो जाये तो इससे भी पथरी बन सकता है।
- अन्य मेडिकल समस्याएँ : इसके अलावा कई मेडिकल समस्याएँ भी पथरी को बना सकती है ।
गुर्दे की पथरी के प्रकार
- कैल्शियम-ऑक्सालेट और कैल्शियम फॉस्फेट पत्थर : यह तब बनते हैं जब आप उच्च-ऑक्सालेट या कम-कैल्शियम वाली चीजें खाते हैं और पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं।
- यूरिक एसिड की पथरी: एनिमल प्रोटीन ज्यादा खाने से यूरिक एसिड की पथरी बन सकती है।
- स्ट्रुवाइट पथरी : जीवाणु संक्रमण से स्ट्रुवाइट पथरी हो सकती है।
- सिस्टीन पथरी : यह एक वंशानुगत स्थिति है जिससे सिस्टीन पथरी बनती है। यह दो सिस्टीन अमीनो एसिड से मिलकर बनता है।
किडनी स्टोन से इन चीजों का खतरा हो सकता है :
- गुर्दे में पेशाब वापस आ सकती है, जिससे उसमें सूजन आ जाती है।
- गुर्दे का संक्रमण होने का खतरा भी हो सकता है।
- मूत्र मार्ग में बार-बार संक्रमण होने का खतरा बना रहता है (यूटीआई) ।
- क्रोनिक किडनी रोग भी हो सकते हैं (सी.के.डी.)।
गुर्दे की पथरी का निदान इस तरह किया जाता है:
- यूरिन टेस्ट – किडनी स्टोन का पता लगाने के लिए पेशाब जांच किया जाता है की यूरिन में रक्त, पत्थर बनाने वाले क्रिस्टल और संक्रमण आदि तो नहीं हैं ।
- इमेजिंग करना – एक्स-रे , सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड आदि द्वारा स्टोन का आकार, आकृति, स्थान और संख्या का पता लगाया जाता है ।
- ब्लड टेस्ट – गुर्दे के फंक्शन की जांच करने के लिए, संक्रमण का पता लगाने और कैल्शियम के उच्च स्तर रक्त परीक्षण करने के लिए करते हैं । इसमें यह भी जांच किया जाता है कि किडनी या यूरिनरी ट्रैक्ट में स्टोन है या नहीं।
किडनी के पथरी का उपचार उसके प्रकार और आकार के आधार पर अलग अलग तरह से किया जाता है :
ऐसा समान्तयः देखा गया है कि लगभग 80% किडनी स्टोन अपने आप ही निकल जाते हैं। स्टोन के आकार और स्थान पर निर्भर करता है की कितने समय में यह निकल सकता है। 4 मिमी का स्टोन एक से दो सप्ताह और इससे बड़ा स्टोन निकलने में लगभग दो से तीन सप्ताह का समय लग सकता है।
पर यह अपने आप न निकल पाए या स्टोन ज्यादा बड़ा हो जाये या फिर कोई और जटिलताएं आ जाएँ तो फिर डॉक्टर दूसरे उपाय की ओर जाते हैं।
जैसे की
- दवाओं के माध्यम से : आमतौर पर छोटे साइज की पथरी के लिए, डॉक्टर दवा लेने की भी सलाह दे सकते हैं, जिससे यह किडनी से स्टोन को बाहर निकाल देती है।
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी : बड़े स्टोन्स के लिए डॉक्टर पथरी को निकालने के लिए एक छोटा चीरा लगाता है। डॉक्टर ऑपरेशन करके स्टोन्स को गुर्दे से बाहर निकाल देते हैं। इसमें अक्सर स्टोन को क्रश करके यानि उसे छोटे टुकड़ों में काटकर बहार निकल दिया जाता है। कई बार लेप्रोस्कोपी के बजाय खुली सर्जरी यानि एक बड़े चीरा लगाने की भी जरुरत पद सकती है।
- शॉकवेव लिथोट्रिप्सी : शरीर के बाहर से पत्थरों को तोड़ने के लिए शॉकवेव का उपयोग करता है। टुकड़े पेशाब के रस्ते से बहुत ही आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
- यूरेटेरोस्कोपी : इसमें डॉक्टर आपके मूत्रमार्ग और मूत्राशय के माध्यम से आपके मूत्रवाहिनी में एक स्कोप डालता है। इसमें स्कोप के जरिये उपकरण डाला जाता है जिससे पत्थर को तोड़कर निकाल दिया जाता है । छोटे टुकड़े पेशाब के रस्ते से होकर बहुत आसानी से बाहर निकल सकते हैं।
- परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी : इसमें डॉक्टर आपकी पीठ में एक छोटे से चीरे या कट लगाकर सीधे आपके किडनी में एक ट्यूब डालता है। और पत्थरों को तोड़ कर निकाल दिया जाता है।
किडनी में स्टोन होने की जोखिम को इस तरह कम किया जा सकता है
हम जो खाते-पीते हैं, उसका असर किडनी पर पड़ता है। किडनी को स्वस्थ्य रखने के लिए खूब पानी पियें। एनिमल प्रोटीन कम खाएं। चीनी या शुगर वाली चीजों से दूरी बनायें ।ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों को बहुत कम खाएं जैसे कि पालक, चुकुन्दर गेहूं का चोकर, नट और मूंगफली का अत्यधिक सेवन न करें । स्वस्थ वजन मेंटेन रखें ।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें .
इसके बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए इस लेख को भी पढ़ सकते हैं।
https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/15604-kidney-stones
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