अगर एम्बुलेंस में होता हूटर तो बच सकती थी पंडित की जान

If the ambulance had a hooter, Pandit's life could have been saved.

सोलन के धर्जा में  एक दिन पहले शादी थी उसका सामान समेटने का कार्य चल रहा था। लेकिन तभी एक व्यक्ति  उंचाई से गिर गया और उसके सर पर चोट लग गई।  आनन फानन में एम्बुलेंस को बुलाया गया।  एम्बुलेंस भी समय पर आ गई।  लेकिन जब वह घायल को लेकर  अस्पताल जा रही थी तो वह जाम में फस गई। घायल के साथ बैठे व्यक्ति ने एम्बुलेंस के पायलट को हूटर बजाने के लिए कहा , लेकिन एम्बुलेंस का हूटर नहीं चला। वहीँ दूसरी ओर घायल की तबियत लगातार बिगड रही थी।  यहाँ तक की एम्बुलेंस का हॉर्न भी तेज नहीं बज रहा था जिस कारण कोई भी साइड पर नहीं हट रहा था। जब तक घायल को लेकर अस्पताल लाया गया तब तक काफी देर हो चुकी थी।
रोते बिलखते गीता राम ने रोष जाहिर किया और बताया कि एम्बुलेंस में हूटर होना बेहद आवश्यक है।  लेकिन जो एम्बुलेंस घायल को लेने धर्जा आई थी उसमें हूटर नहीं था।  बिना हूटर एम्बुलेंस को कोई भी रास्ता नहीं दे रहा था।  क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चल रहा था कि पीछे एम्बुलेंस फसी है।  अगर हूटर बजता तो शायद वह जल्दी अस्पताल पहुंच पाते।  लेकिन वह जाम में फसने की वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और घायल ने अस्पताल में दम तोड दिया। जिसका जिम्मेदार वह संबंधित विभाग को मानते है जिनकी लापरवाही का खामियाजा घायल को भुगतना पडा