ICC World Cup Memories: 2003 World Cup Final का Ind-Aus मैच जिसे कोई भारतीय क्रिकेट फैन याद नहीं रखना चाहता

2003 का वर्ल्ड कप. क्रिकेट का वो महासंग्राम जो भारतीय टीम के सबसे बेहतरीन सफ़रनामे में से एक था. जिस देश की रगों में क्रिकेट दौड़ता है, उस देश के क्रिकेट फ़ैन्स 2003 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल को याद नहीं करना चाहते. ये उनके स्मृति पटल पर एक काले बिंदु की तरह है, जिसे मिटाना असंभव है. भारत की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फ़ाइनल में जगह बनाई लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सपने पर पानी फेर दिया. ऑस्ट्रेलिया की टीम लगातार दूसरी बार विश्व विजेता बनी. इस फ़ाइनल के बाद से ही शुरू हुई द फ़ेमस इंडिया-ऑस्ट्रेलिया राइवलरी.

2003 का फ़ाइनल जिसे कोई भारतीय फ़ैन याद नहीं करना चाहता

ICC Cricket World Cup Final 2003 Quora

1983 में कपिल देव की टीम ने भारत को विश्व विजेता बनाया. 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने दशकों का इंतज़ार खत्म किया और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास रच दिया. भारत की सीनियर और जूनियर टीम्स ने यूं तो क्रिकेट के अलग-अलग फ़ॉर्मैट में कोई विश्व कप जीते हैं लेकिन 2003 का फ़ाइनल कोई भी भारतीय क्रिकेट फ़ैन याद नहीं करना चाहता.

विश्व कप से पहले भारतीय क्रिकेटर्स पर लगे ‘क्रिकेट न खेलने’ के इल्ज़ाम

2003 के वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम बुरे दौर से गुज़र रही थी. वेस्ट इंडीज़ की टीम भारत दौरे पर थी. भारत ने टेस्ट मैच 2-0 से जीता लेकिन वनडे सीरीज़ 3-4 से हार गई. इसके बाद न्यूज़ीलैंड से भी 2-5 से सीरीज़ हार गए भारत के धुरंधर. फ़ैन्स में गुस्सा था और मीडिया में भी ऐसी खबरें आने लगी की भारतीय क्रिकेटर्स ‘क्रिकेट नहीं खेल’ रहे. ‘मेन इन ब्लू’ पर Ads आदि पर ज़्यादा ध्यान देने के संगीन इल्ज़ाम लगने लगे.

जनता को उम्मीद थी कि दो सीरीज़ हारने के बाद भारतीय क्रिकेटर्स वर्ल्ड कप के लिए जी-जान लगा देंगे. गौरतलब है कि वर्ल्ड कप में भी फ़ैन्स को निराशा ही हाथ लगी.

2003 के विश्व कप में भारत की खराब शुरुआत

ICC World Cup 2003 India BCCL

2003 वर्ल्ड कप में भारत की शुरुआत बेहद खराब थी. नीदरलैंड्स की नई-नवेली टीम ने भारत को 204 पर ऑल आउट कर दिया. नीदरलैंड्स की टीम में यूनिवर्सिटी के छात्र, वकील, रिअल एस्टेट एजेंट्स और सिगार सेल्समैन थे. हालांकि नीदरलैंड्स की टीम 68 रनों से हार गई लेकिन इस जीत का श्रेय भारतीय टीम को नहीं, बल्कि नीदरलैंड्स की टीम की ‘अनुभवहीनता’ को दिया गया.

अभी भारतीय फ़ैन्स को ‘440 वोल्ड का झटका’ लगना बाक़ी था. दूसरे मैच में गांगुली की टीम रिकी पॉन्टिंग यानि ऑस्ट्रेलिया की टीम से भिड़ी. ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों ने भारत की कमर तोड़ दी, 125 पर भारतीय टीम ऑल आउट हो गई. ऑस्ट्रेलिया ने ये मैच 9 विकेट से जीता.

भारतीय क्रिकेट फ़ैन्स ये बर्दाशत नहीं कर पाए. भारत की सड़कों पर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीरेंद्र सहवाग के पुतले फूंके गए. कुछ शहरों में तो क्रिकेटर्स की तथाकथित ‘अंतिम यात्रा’ तक निकाली गई. विरोधी यहीं नहीं रुके कुछ क्रिकेटर्स के घरों को भी निशाना बनाया गया. इलाहाबाद स्थित मोहम्मद कैफ़ के घर पर काला पेंट फेंका गया.

शुरु हुआ भारत की जीत का सिलसिला

सुपर सिक्स स्टेज में पहुंचने के लिए चार मैच जीतने थे. ऑस्ट्रेलिया से शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया फिर से उठ खड़ी हुई. भारत की टीम ने चारों मैच जीते और ‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन तेंदुलकर ने इन जीतों में अहम भूमिका निभाई. सुपर सिक्स स्टेज में पहुंचने वाली दूसरी टीम बन गई टीम इंडिया.

सुपर सिक्स के सारे गेम, गांगुली की टीम ने अपने नाम किए

ICC Cricket World Cup India Squad Twitter

सुपर सिक्स स्टेज में उसी टीम के क्रिकेटर्स ने धुंधाधार प्रदर्शन किया जिस टीम के लिए उन्हीं के देश में ‘मुर्दाबाद के नारे’ लगाए गए. तेंदुलकर और सहवाग की जोड़ी मैच ओपनर्स थे और गांगुली नंबर 3 पर खेलने उतरे. भारत की बैटिंग लाइन 7वें नंबर तक पहुंच रही थी और इस निर्णय का पुरज़ोर विरोध हुआ. भारत की टीम ने क्रिटिक्स के मुंह पर टेप लगा दिया!

23 मार्च, 2003 – भारतीय क्रिकेट का काला दिन…

ICC Cricket World Cup 2003 winnerTwitter

टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से भारतीय क्रिकेटर्स जादू सा कर रहे थे और फिर आया 23 मार्च, 2003. जोहान्सबर्ग के वान्डरर्स स्टडेयिम में गांगुली ने टॉस जीता और पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया. युवा ज़हीर ख़ान ने गेंदबाज़ी की शुरुआत की. भारत के तेज़ गेंदबाज़ों (जवगल श्रीनाथ, ज़हीर ख़ान और आशीष नेहरा) कोई कमाल नहीं कर पाए. मजबूरन गांगुली को स्पिनर्स को उतारना पड़ा.

हरभजन सिंह ने एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन का विकेट चटकाए लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों का कमाल सिर्फ़ इतना ही था. कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 140 (नाबाद) और डैमिअन मार्टिन ने 88 (नाबाद) रन ठोके. दोनों ने 30 ओवर्स में 234 रन की साझेदारी बनाई. ऑस्ट्रेलिया का स्कोर था 359/2. भारतीय गेंदबाज़ों ने सारा दारोमदार बल्लेबाज़ों पर ट्रांसफ़र कर दिया.

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भारतीय फ़ैन्स को तेंदुलकर से बहुत उम्मीदें थी, उन्हें क्रिकेट का भगवान माना जाता है. पारी के पांचवीं गेंद पर ही तेंदुलकर अपना विकेट ग्लेन मैकग्रा का पकड़ा बैठे. सहवाग ने पारी संभालने की कोशिश की, 81 गेंदों पर 82 रन बनाए लेकिन 24वें ओवर में रन आउट हो गए.

ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से ब्रेट ली, मैकग्रा और एंड्रू साइमंड्स ने भारतीय बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी. भारत की टीम 40वें ओवर में 234 रन पर ही सिमट गई.

आज तक वर्ल्ड कप फ़ाइनल में कोई टीम 125 रन के अंतर से नहीं हारी है. भारत को ऑस्ट्रेलिया ने हराया और बहुत बुरी तरह हराया. 1999 से 2007 तक ऑस्ट्रेलिया विश्व विजेता रही.